आरयू वेब टीम। सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार को बुधवार को सुझाव दिया कि पिछले साल गिरफ्तार किए गए केरल के पत्रकार सिद्दीक कप्पन को बेहतर इलाज के लिए राज्य से बाहर स्थानांतरित कर दिया जाए। पत्रकार को हाथरस जाते समय रास्ते में गिरफ्तार किया गया था जहां पिछले साल 14 सितंबर को एक दलित युवती की सामूहिक बलात्कार के बाद मौत हो गई थी।
केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जनर्लिस्ट्स (केयूडब्ल्यूजे) का आरोप है कि कप्पन को अस्पताल में उसके बेड से जंजीर से बांध कर रखा गया था। कप्पन को बाथरूम में गिरने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था और बाद में वह कोविड-19 से संक्रमित भी पाए गए। यूपी सरकार ने कप्पन को जंजीर से बांधने के आरोपों को खारिज कर दिया और बताया कि कप्पन की कोरोना रिपोर्ट निगेटीव आई है।
प्रधान न्यायाधीश एन वी रमण, न्यायमूर्ति सूर्य कांत और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की तीन सदस्यीय पीठ ने सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह इस सलाह पर राज्य सरकार से निर्देश प्राप्त करें। पीठ ने कहा कि केरल के पत्रकार यूनियन (केयूडब्ल्यूजे) तथा कप्पन की पत्नी की ओर से दायर याचिका पर आगे की सुनवाई की जायेगी।
योगी सरकार की तरफ से पेश हुए मेहता ने इस सुझाव का यह कहते हुए पुरजोर विरोध किया कि इसी तरह के कई आरोपितों का राज्य के अस्पतालों में इलाज हो रहा है और कप्पन को खास तवज्जो महज इसलिए नहीं मिलनी चाहिए कि मामले में याचिकाकर्ता पत्रकारिता संबंधी एक निकाय है। पीठ ने कहा, “हम स्वास्थ्य के मुद्दे तक सीमित हैं। यह राज्य के हित में भी है कि आरोपी को बेहतर इलाज मिले।”
पिछले साल 16 नवंबर को, शीर्ष अदालत ने पत्रकार की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर उत्तर प्रदेश से जवाब दाखिल करने को कहा था। पोपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) से कथित तौर पर संबंध रखने के आरोप में चार लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) कानून (यूएपीए) के प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी। कप्पन को हाथरस घटना की रिपोर्टिंग पर जाने के दौरान रास्ते में गिरफ्तार किया गया था।