आरयू वेब टीम। संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) ने विपक्षी दलों की कड़ी आपत्तियों के बावजूद वक्फ संशोधन विधेयक में 14 संशोधनों को मंजूरी दे दी है। विपक्षी पार्टी के सदस्यों ने जेपीसी के फैसले की आलोचना की और आरोप लगाया कि उन्हें बैठक के दौरान बोलने की अनुमति नहीं दी गई और बिना उचित चर्चा के संशोधनों को आगे बढ़ाया गया। जेपीसी की अंतिम मसौदा रिपोर्ट 29 जनवरी को जारी होने की उम्मीद है।
वहीं तृणमूल कांग्रेस के कल्याण बनर्जी ने कहा कि जगदंबिका पाल ने लोकतंत्र को नष्ट कर दिया है। “आज उन्होंने वही किया जो उन्होंने तय किया था। हमें बोलने नहीं दिया। किसी भी नियम या प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया। शुरू में हमने दस्तावेज, रिप्रजेंटेशन और टिप्पणियां मांगी थीं। वे सभी चीजें हमें नहीं दी गईं। उन्होंने खंड-दर-खंड चर्चा शुरू कर दी। हमने कहा, पहले चर्चा करते हैं। जगदंबिका पाल ने चर्चा की ही नहीं। फिर उन्होंने संशोधन प्रस्ताव लाया। हम सभी को संशोधन प्रस्ताव पर बोलने की अनुमति नहीं दी गई। उन्होंने प्रस्ताव पेश किया, गिना और घोषणा की। सभी संशोधन पारित हो गए। हमारे संशोधन खारिज कर दिए गए और उनके संशोधन को अनुमति दे दी गई। यह एक हास्यास्पद कार्यवाही थी. यह लोकतंत्र का काला दिन है…जगदंबिका पाल लोकतंत्र के सबसे बड़े ब्लैकलिस्टर हैं। वह एक ऐसे व्यक्ति हैं जिन्होंने लोकतंत्र को नष्ट कर दिया है।”
95-98 प्रतिशत लोगों ने किया विरोध: कांग्रेस सासंद
कांग्रेस सांसद नसीर हुसैन ने दावा किया कि जेपीसी की बैठकों में भाग लेने वाले अधिकांश हितधारकों ने विधेयक का विरोध किया है। साथ ही कहा, “जेपीसी की बैठक में 95-98 प्रतिशत हितधारकों ने इस विधेयक का विरोध किया। खंड-दर-खंड चर्चा नहीं हुई।” जबकि कांग्रेस सांसद इमरान मसूद ने कहा कि नया कानून वक्फ को पूरी तरह बर्बाद कर देगा। “अध्यक्ष ने सब कुछ बुलडोजर से उड़ा दिया और 1.5 घंटे में बैठक खत्म कर दी। इतिहास उन लोगों को माफ नहीं करेगा जिन्होंने सत्ताधारी पार्टी के साथ इसका समर्थन किया। यह नया कानून वक्फ को पूरी तरह बर्बाद कर देगा। यह वक्फ की संपत्तियों को जब्त करने का एक प्रयास है।”
समाजवादी पार्टी के सांसद मोहिबुल्लाह ने कहा, “यह देश के साथ मजाक है। बैठक में जिस तरह से प्रक्रिया पूरी की गई, वह मजाक जैसा लगता है। यह वक्फ के लिए फायदेमंद नहीं होगा।”
शिवसेना (यूबीटी) सांसद अरविंद सावंत ने भी उल्लेख किया कि आज की बैठक में खंड-दर-खंड चर्चा भी नहीं की गई। “हमने जो संशोधन प्रस्तावित किए थे, उन पर सीधे मतदान हुआ। आपको बताना चाहिए था कि हमने संशोधन क्यों प्रस्तावित किए। कोई चर्चा नहीं हुई। 29 तारीख को मसौदा रिपोर्ट आएगी और फिर हम असहमति नोट भी जमा करेंगे।”
दूसरी ओर जेपीसी अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा कि संशोधनों को बहुमत के आधार पर स्वीकार किया गया है, जिसमें 16 सदस्यों ने बदलावों का समर्थन किया और दस ने उनका विरोध किया। जेपीसी अध्यक्ष ने कहा, “44 संशोधनों पर खंड दर खंड चर्चा की गई। छह महीने से अधिक समय तक विस्तृत चर्चा के बाद, हमने सभी सदस्यों से संशोधन मांगे। यह हमारी अंतिम बैठक थी… इसलिए, बहुमत के आधार पर समिति द्वारा 14 संशोधनों को स्वीकार किया गया है। विपक्ष ने भी संशोधन सुझाए थे। हमने उनमें से प्रत्येक संशोधन को आगे बढ़ाया और इसे मतदान के लिए रखा गया, लेकिन दस वोट उनके (सुझाए गए संशोधनों) के समर्थन में थे और 16 वोट इसके विरोध में थे।”
यह भी पढ़ें- TMC व BJP सांसदों से झड़प के बाद कल्याण बनर्जी वक्फ बिल की JPC कमेटी से सस्पेंड
गौरतलब है कि वक्फ संशोधन विधेयक का उद्देश्य 1995 के वक्फ अधिनियम में बदलाव करना है, जो भारत में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन को नियंत्रित करता है। यह बिल विवाद का विषय रहा है, विपक्षी दलों ने आरोप लगाया है कि यह मुसलमानों के अधिकारों और भारत के संघीय ढांचे को कमजोर करता है। वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 पर जेपीसी की बैठक के बाद, इसके सदस्यों में से एक – भाजपा सांसद अपराजिता सारंगी ने कहा कि विपक्षी सदस्यों ने सरकार के 43 प्रस्तावों से जुड़े संशोधन प्रस्तावित किए हैं।
यह भी पढ़ें- कांग्रेस सांसद का आरोप, वक्फ विधेयक है जमीन हड़पने व देश में अराजकता फैलाने की तैयारी