आरयू ब्यूरो, लखनऊ। महंगाई, मंदी और बेरोजगारी से परेशान जनता को भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआइ) फिलहाल कोई रियात देने के मूड में नहीं दिखाई दे रही है। यही वजह है कि आरबीआइ ने लगातार चौथी बार रेपो रेट में बढ़ोतरी की है। केंद्रीय बैंक ने नीतिगत ब्याज दर में 50 बेसिस अंक की बढ़ोतरी की है। अब आरबीआई की रेपो रेट 5.4 प्रतिशत से बढ़कर 5.9 प्रतिशत हो गई है। आरबीआइ गर्वनर शक्तिकांत दास ने इस बात की जानकारी देते हुए यह भी कहा है कि अगर तेल के दाम में मौजूदा नरमी आगे बनी रही, तो महंगाई से राहत मिलेगी।
इससे पहले आरबीआइ ने अगस्त में रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी की थी। मई महीने में भी हुई एमपीसी की बैठक में रेपो रेट को 50 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर 4.90 प्रतिशत कर दिया गया था।
गौरतलब है कि रेपो रेट वह दर है जिस पर आरबीआइ बैंकों को लोन देता है। इसके बढ़ने से होम लोन समेत सभी तरह के लोन और इएमआइ महंगी हो जाएगी।
केंद्रीय बैंक की मॉनीटरी पॉलिसी कमेटी (एमपीसी) की बैठक में रेपो रेट में बढ़ोतरी का फैसला किया गया। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस मीटिंग में लिए गए फैसलों की जानकारी दी। मई से रेपो रेट में 1.90 फीसदी की बढ़ोतरी की जा चुकी है। दास ने कहा कि एमपीसी के छह सदस्यों में पांच ने रेपो रेट में बढ़ोतरी का समर्थन किया। साथ ही समिति ने महंगाई को काबू में लाने के लिए नरम नीतिगत रुख को वापस लेने पर ध्यान देते रहने का भी फैसला किया है।
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आरबीआई गवर्नर ने कहा, ‘हम कोविड महामारी संकट, रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद विभिन्न देशों के केंद्रीय बैंकों के नीतिगत दर में आक्रामक वृद्धि के कारण उत्पन्न नए ‘तूफान’ का सामना कर रहे हैं।’ आरबीआई ने फाइनेंशियल ईयर 2022-23 के लिए महंगाई के अनुमान को 6.7 प्रतिशत पर बरकरार रखा है। दूसरी छमाही में इसके करीब छह प्रतिशत रहने का अनुमान है। अगस्त में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई सात प्रतिशत थी, जो आरबीआई के संतोषजनक स्तर से ऊपर है।
दास ने कहा कि अगर तेल के दाम में मौजूदा नरमी आगे बनी रही, तो महंगाई से राहत मिलेगी। उन्होंने कहा कि विभिन्न पहलुओं पर गौर करने के बाद चालू वित्त वर्ष के लिए आर्थिक वृद्धि दर के अनुमान को 7.2 प्रतिशत से घटाकर 7.0 प्रतिशत किया गया है। हालांकि, उन्होंने कहा कि वैश्विक संकट के बीच भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है।