आरयू वेब टीम। बिलकिस बानो मामले में दोषी 11 लोगों की रिहाई के गुजरात सरकार के जवाब का केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने बचाव किया। मंगलवार को केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि, “मुझे इसमें कुछ भी गलत नहीं लगता, क्योंकि यह कानून की एक प्रक्रिया है।” केंद्रीय मंत्री ने एक टीवी चैनल को बताया कि जेल में काफी समय बिताने वाले दोषियों के लिए, रिहाई के लिए एक प्रावधान है। कानून के अनुसार ये किया जाता है।
इन सभी आरोपितों को फिर से जेल भेजने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई है। सोमवार (17 अक्टूबर) को मामले की सुनवाई के दौरान गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कैदियों की रिहाई के समर्थन में हलफनामा दिया था। गुजरात सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दोषियों की 14 साल की सजा पूरी हो गई थी और उनका व्यवहार अच्छा पाया गया। केंद्र ने इसे मंजूरी दे दी थी। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने गुजरात सरकार के अनुरोध करने के दो सप्ताह के भीतर दोषियों की रिहाई को मंजूरी दे दी थी।
गुजरात सरकार ने 28 जून को केंद्र की मंजूरी मांगी थी और 11 जुलाई को मंजूरी मिल गई थी। देशभर में आक्रोश के बीच 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस पर दोषियों को रिहा किया गया था। गुजरात की जेल के बाहर माला और मिठाइयों से उनका स्वागत किया गया था। इन आरोपितों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। केंद्र और गुजरात सरकार दोनों ने इन लोगों को मुक्त करने के लिए सीबीआइ और एक विशेष न्यायाधीश की कड़ी आपत्तियों को खारिज कर दिया।
वहीं सीबीआइ ने पिछले साल कहा था कि ये अपराध ‘जघन्य और गंभीर’ है और इसमें किसी तरह की नरमी नहीं बरती जानी चाहिए। एक विशेष न्यायाधीश ने कहा था कि महिला के साथ अपराध केवल इस आधार पर किया कि पीड़ित एक विशेष धर्म से हैं। इस मामले में नाबालिग बच्चों को भी नहीं बख्शा गया।
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गौरतलब है कि मार्च 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के दौरान भीड़ ने बिलकिस बानो के परिवार के सदस्यों पर हमला किया था। बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था। इस दौरान उनके परिवार के सात लोगों की हत्या की गई थी। बिलकिस बानो उस समय गर्भवती थी। उनकी तीन साल की बेटी की भी हत्या कर दी गई थी।