आरयू ब्यूरो, लखनऊ। अपने विवादित बयानों को लेकर चर्चा में रहने वाले भाजपा विधायक विक्रम सैनी की भी आज विधायकी चली गयी है। दंगे के मामले में सजा पा चुके विक्रम सैनी की सदस्यता समाप्त करने की मांग हाल ही में राष्ट्रीय लोकदल के जयंत चौधरी ने उठाई थी।
जयंत ने कहा था कि जब आजम खान की सदस्यता रद्द की गयी है तो ऐसे ही मामले में पूर्व में सजा पा चुके विक्रम सैनी को क्यों बचाया जा रहा है। साथ ही उन्होंने सत्ता व विपक्ष के विधायकों के लिए अलग-अलग कानून होने की बात कहते हुए भी सवाल उठाएं थें।
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जयंत ने यह मांग हाल ही में हेट स्पीच के मामले में आजम खान को तीन साल की सजा होने व उसके बाद उनकी विधानसभा सदस्यता रद्दा होने के बाद की थी। जयंत ने इसके लिए विधानसभा अध्यक्ष सतीश महाना को एक पत्र भी लिखा था, जो सोशल मीडिया पर भी काफी वायरल हुआ था।
बीते एक नवंबर को सामने आए अपने पत्र में जयंत ने कहा था कि वर्ष 2013 में हुये मुजफ्फरनगर दंगों के लिए स्पेशल एमपी, एमएलए कोर्ट द्वारा 11 अक्तूबर 2022 को जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत विधायक विक्रम सैनी को दो साल की सजा सुनाई थी। इस प्रकरण को भी संज्ञान में लिया जाए। वहीं इस बीच आज भाजपा विधायक की सदस्यता रद्द होने की बात सामने आयी है।
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गौरतलब है कि मुजफ्फरनगर में हुए कवाल कांड साल 2013 मामले में बीजेपी विधायक विक्रम सैनी समेत 12 लोग दोषी पाए गए थे। एमपी-एमएलए कोर्ट ने विक्रम सैनी समेत सभी दोषियों को दो-दो साल की सजा सुनाई थी। कवाल गांव में दो युवकों की हत्या के बाद खतौली सीट से बीजेपी विधायक विक्रम सैनी सहित 28 लोगों पर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज हुआ था। इसमें करीब 15 लोग सबूतों के अभाव में बरी हो गए थे। वहीं सजा के कुछ दिन बाद ही सभी दोषियों को जमानत मिल गई थी। वहीं इस मामले में बीजेपी विधायक विक्रम सैनी ने हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया है।