हिंदू युवा वाहिनी के कार्यक्रम पर दिल्ली पुलिस के जवाब से सुप्रीम कोर्ट हैरान, पूछा नफरत का आरोप खारिज करने का स्टैंड किसका?

सुप्रीम कोर्ट

आरयू वेब टीम। दिल्ली में हुए हिंदू युवा वाहिनी के कार्यक्रम को लेकर दिल्ली पुलिस के जवाब पर सुप्रीम कोर्ट ने हैरानी जताई है। 19 दिसंबर को हुए इस कार्यक्रम के बारे में दिल्ली पुलिस ने कहा था कि कार्यक्रम में किसी समुदाय के खिलाफ नफरत भरी बात नहीं कही गई। सिर्फ हिंदू समुदाय के हित की बात कही गई।

सुप्रीम कोर्ट ने इस पर हैरानी जताते हुए पूछा है कि यह सब इंस्पेक्टर रैंक के जांच अधिकारी का स्टैंड है या डीसीपी का? कोर्ट ने नया हलफनामा दाखिल करने के लिए दिल्ली पुलिस को दो हफ्ते का समय दिया है। मामले की अगली सुनवाई नौ मई को होगी।

12 जनवरी को कोर्ट ने दिल्ली और हरिद्वार में हुए धर्म संसद में दिए गए भड़काऊ भाषणों के मामले पर नोटिस जारी किया था। यह नोटिस पत्रकार कुर्बान अली की याचिका पर जारी हुआ था। याचिकाकर्ता ने 17 दिसंबर को हरिद्वार में हुई धर्म संसद और 19 दिसंबर को दिल्ली में हुए एक और कार्यक्रम की जानकारी दी थी।

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ये बताया था कि दोनों कार्यक्रमों में जिस तरह के भाषण दिए गए वो आइपीसी की कई धाराओं के खिलाफ थे। इनमें वक्ताओं ने खुलकर मुस्लिम समुदाय के संहार की बातें कहीं, लेकिन पुलिस ने अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं की है। मामले में सुप्रीम कोर्ट के नोटिस के बाद उत्तराखंड और दिल्ली पुलिस ने सख्ती दिखाते हुए यति नरसिंहानंद समेत कई लोगों की गिरफ्तारी की थी।

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14 अप्रैल को दक्षिणी दिल्ली की डीसीपी ईशा पांडे की तरफ से दाखिल हलफनामे में आगे कहा गया है कि याचिकाकर्ता कुर्बान अली की याचिका दो कार्यक्रमों के बारे में है। एक कार्यक्रम 17 दिसंबर को हरिद्वार में हुआ और दूसरा 19 दिसंबर को दिल्ली के गोविंदपुरी में दिल्ली पुलिस ने कहा है कि 17 दिसंबर का कार्यक्रम दूसरे राज्य का है, इसलिए उसके अधिकार क्षेत्र में नहीं आता, लेकिन उसने 19 दिसंबर को हुए कार्यक्रम की बारीकी से जांच की है और यह पाया है कि याचिका में लगाए गए आरोप सही नहीं हैं।

हलफनामे में कहा गया है कि हिंदू युवा वाहिनी की तरफ से 19 दिसंबर को आयोजित इस कार्यक्रम के पूरे वीडियो की बारीकी से जांच की गई। उसमें ऐसा कहीं नहीं मिला कि किसी समुदाय के संहार की बात कही गई हो या उसे भारत में अवैध रूप से रहने वाला, हिंदुओं पर जुल्म करने वाला कहा गया हो। दिल्ली पुलिस ने आगे कहा है कि अगर किसी समुदाय के लोग अपने हितों की बात करने के लिए कार्यक्रम करते हैं, तो इसमें कानूनन कुछ गलत नहीं।

याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने इस जवाब का विरोध किया। उन्होंने कहा कि उस कार्यक्रम में लोगों को मारने की बात कही गई। इस पर जस्टिस ए.एम खानविलकर और अभय एस ओका की बेंच ने पूछा कि जांच का जो निष्कर्ष पुलिस के हलफनामे में लिखा गया है, वह निष्कर्ष क्या वाकई डीसीपी का है? जजों ने कहा कि अगर ऐसा है तो उन्हें पुलिस कमिश्नर से पूछना पड़ेगा कि उनका क्या विचार है। दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसीटर जनरल के एम नटराज ने कहा कि वह मामले में उच्च अधिकारियों से निर्देश लेकर नया हलफनामा दाखिल करेंगे। कोर्ट ने इसकी अनुमति देते हुए नौ मई को अगली सुनवाई की बात कही।

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