आरयू वेब टीम। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बड़ा फैसला सुनाया है। चुनाव आयुक्त कि नियुक्ती के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक पैनल बनाने को कहा है। यह तीन सदस्यी कमेटी ही चुनाव आयुक्त की नियुक्ति करेगी। इस पैनल में प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और सीजेआइ मिलकर मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ती करेंगे। सुनवाई के दौरान जस्टिस के एम जोसेफ ने कहा कि लोकतंत्र को बनाए रखने के लिए चुनाव प्रक्रिया की शुद्धता बनाए रखी जानी चाहिए अन्यथा इसके विनाशकारी परिणाम होंगे।
इस फैसलो को पांच जजों के संविधान पीठ ने दिया है। पीठ में जस्टिस केएम जोसेफ, जस्टिस अजय रस्तोगी, अनिरुद्ध बोस, हृषिकेश रॉय और सीटी रविकुमार शामिल हैं। दरअसल निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की गईं थीं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र बहुत महीन तरीके से लोगों की ताकत से जुड़ी है। इन्हें अलग नहीं किया जा सकता है। हमें अपने दिमाग में एक ठोस और उदार लोकतंत्र का हॉलमार्क लेकर चलना होगा। वोट की ताकत सबसे बड़ी है, इससे बड़ी और मजबूत पार्टियां भी सत्ता से बेदखल हो सकती हैं। इसलिए चुनाव आयोग को स्वतंत्र होना जरूरी है।
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने कहा कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति भी सीबीआइ डायरेक्टर की तर्ज पर हो। इसका चयन भी प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष और देश के मुख्य न्यायाधीश का पैनल चुनता है। राष्ट्रपति इस पैनल की सिफारिश पर आखिरी फैसला लेंगे।
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गौरतलब है कि इसस पहले सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व नौकरशाह अरुण गोयल को निर्वाचन आयुक्त नियुक्त करने में केंद्र द्वारा दिखाई गई जल्दबाजी पर सवाल उठाते हुए कहा था कि उनकी फाइल 24 घंटे में विभागों से बिजली की गति से पास हो गई। हालांकि, केंद्र सरकार ने शीर्ष अदालत की टिप्पणियों का जोरदार विरोध किया था।