आरयू वेब टीम। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के मोदी सरनेम वाले मानहानि मामले में शुक्रवार को देश की सबसे बड़ी अदालत में सुनवाई हुई। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार व याचिकाकर्ता पूर्णेश मोदी को नोटिस जारी किया है। दोनों से दस दिन के अंदर जवाब दाखिल करने को कहा है। अब इसकी अगली सुनवाई चार अगस्त को होगी। तब तक गुजरात हाई कोर्ट का फैसला लागू रहेगा।
राहुल ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में कहा है कि यदि आदेश पर रोक नहीं लगाई गई तो इससे स्वतंत्र भाषण, स्वतंत्र अभिव्यक्ति, स्वतंत्र विचार और स्वतंत्र वक्तव्य का दम घुट जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि यदि हाई कोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाई गई तो यह लोकतांत्रिक संस्थानों को व्यवस्थित तरीके से बार-बार कमजोर करेगा और इसके परिणामस्वरूप लोकतंत्र का दम घुट जाएगा, जो भारत के राजनीतिक माहौल और भविष्य के लिए हानिकारक होगा।
दरअसल मानहानि केस में राहुल ने सूरत के सेशन कोर्ट के फैसले के खिलाफ गुजरात हाई कोर्ट में अपील की थी, लेकिन कोर्ट ने उन्हें दोषी करार दिए जाने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। तब हाई कोर्ट के जस्टिस हेमंत प्रच्छक ने कहा था, “राहुल के खिलाफ कम से कम दस आपराधिक मामले लंबित हैं। राहुल ऐसे आधार पर सजा पर रोक की मांग कर रहे हैं, जिसका कोई अस्तित्व ही नहीं है।” राहुल के सुप्रीम कोर्ट पहुंचने ये पहले ही उनके खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराने वाले पूर्णेश ने कैविएट याचिका दायर कर कोर्ट से अपील की थी कि किसी भी फैसले से पहले उनका पक्ष भी सुना जाए।
बता दें कि कोर्ट में कैविएट याचिका ये सुनिश्चित करने के लिए दायर की जाती है कि याचिकाकर्ता की बात सुने बिना उसके खिलाफ कोई प्रतिकूल आदेश न पारित किया जाए।
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मालूम हो कि राहुल ने अप्रैल, 2019 में कर्नाटक के कोलार में एक रैली के दौरान कहा था कि सभी चोरों का सरनेम मोदी ही क्यों होता है? इस टिप्पणी को लेकर गुजरात के भाजपा विधायक पूर्णेश मोदी ने राहुल के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था। मामले में सूरत की एक कोर्ट ने राहुल को दोषी पाते हुए दो साल की सजा और 15,000 रूपये का जुर्माने लगाया था। इसके बाद राहुल की संसद सदस्यता रद्द कर दी गई थी।