आरयू ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं पर कई सवाल उठाने वाली एक घटना सूबे की राजधानी लखनऊ में रविवार को हुई है। एंबुलेंस नहीं मिलने के चलते हजरतगंज क्षेत्र स्थित राज्यपाल आनंदी बेन पटेल के सरकारी आवास राजभवन के बाहर एक महिला ने नवजात को जन्म दिया, जिसके कुछ ही देर बाद बच्चे की मौत भी हो गयी, जबकि महिला को झलकारीबाई अस्पताल में भर्ती कराया गया है। यह शर्मनाक घटना उस समय हुई, जब सिविल अस्पाल में इलाज के लिए आज पहुंची गर्भवती को डॉक्टरों ने भर्ती करने की जगह घर भेज दिया था।
वहीं विधानसभा व लोकभवन से कुछ दूरी पर सड़क पर राहगीर महिला-युवतियों द्वारा आज डिलेवरी कराने का किसी ने वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाल दिया, जिसके वायरल होते ही हंगामा मच गया।
कुछ ही देर में स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अलावा यूपी के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने अस्पताल पहुंच पति-पत्नी को ढांढस बंधाया साथ ही बैकुंठ धाम जाकर नवजात का अंतिम संस्कार भी कराया। साथ ही ब्रजेश पाठक ने मामले के दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने की भी बात कही है। दूसरी ओर इस घटना को लेकर समाजवादी पार्टी, कांग्रेस व आम आदमी पार्टी ने योगी सरकार पर निशाना साधा है। विपक्ष का कहना है कि योगी सरकार के काम व झूठे दावों की असलियत एक बार फिर सामने आ गयी है।
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बताया जा रहा है कि माल एवेन्यु निवासी बृजेश कुमार सोनी की पत्नी रूपा सोनी (31) करीब पांच महीने की गर्भवती थी। आज सुबह करीब आठ बजे पेट में तेज दर्द उठने पर ब्रजेश उसे लेकर सिविल अस्पताल पहुंचे थे। जहां इमरजेंसी में डॉक्टरों ने महिला को दर्द का इंजेक्शन लगाने के साथ दवा दी।
दो घंटे अस्पताल में थी रूपा, डॉक्टरों ने नहीं समझी असली दिक्कत
रूपा करीब दो घंटे तक अस्पताल में रही, लेकिन डॉक्टरों ने उसकी सही दिक्कत को नहीं समझा और लापरवाही दिखाते हुए पति से उसे घर ले जाने को कह दिया। गर्भवती अपनी भाभी रीता के साथ रिक्शे से घर जा रही थी, जबकि दूसरे साधन से पति पीछे थे। पूर्वान्ह करीब 11:45 बजे रूपा को रिक्शे पर तेज प्रसव पीड़ा के साथ रक्त स्त्राव होने लगा।
गर्भवती की जान बचाने रूकी राहगीर महिलाएं
जिसके बाद राजभवन के बाहर सड़क किनारे दर्द से तड़पती गर्भवती को लिटाने के बाद रीता व मौके पर जुटी अन्य राहगीर महिलाओं ने एंबुलेंस के लिए कई बार कॉल किया, लेकिन एंबुलेंस नहीं आई। वहीं रूपा की तकलीफ बढ़ती देख वहां से गुजर रहीं महिला व युवतियों ने रूपा की जान बचाने के लिए एक साड़ी के सहारे पर्दा कर सड़क पर ही डिलेवरी कराने का फैसला लिया, सड़क पर इस तरह का नजारा देख रह कोई सन्न रह गया, कुछ ही मिनटों में वहां भीड़ भी लग गयी।
प्रत्यक्षदीर्शियों ने उठाए सवाल यहां भी नहीं मिलेगी एंबुलेंस तो फिर कहां मिलेगी
प्रत्यक्षदर्शी मुख्यमंत्री आवास, लोकभवन कार्यायल व विधानसभा से कुछ ही दूर पर स्थित राज्यभवन के बाहर इस तरह का मंजर देख सरकार की नीतियों पर सवाल उठाने लगे। उनका कहना था कि पास में ही आजादी के महोत्सव की तैयारी चल रही है और इलाके में कई बड़े अस्पताल होने के बाद भी गर्भवती तक एंबुलेंस नहीं पहुंच सकी जो बेहद शर्मनाक बात है।
लोगों का यह भी मानना था कि एंबुलेंस सेवा में लापरवाही बरतने वालों के साथ-साथ सिविल अस्पताल के उन डॉक्टरों पर भी कार्रवाई होनी चाहिए जो इस हाल में भी गर्भवती को भर्ती करने की जगह घर भेज दिए थे।
दूसरी ओर काफी देर बाद मौके पर पहुंची एंबुलेंस ने गर्भवती व नवजात को झलकारी बाई अस्पताल पहुंचाया। जहां डॉक्टरों ने जांच के बाद नवजात को मृत घोषित कर दिया, जबकि रूपा भर्ती है। नवजात की मौत से पति-पत्नी व अन्य परिजन गमगीन हैं।
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झलकारी बाई अस्पताल की सीएमएस डॉ. निबेदिता कर ने मीडिया को बताया दरोगा भानु प्रताप सिंह व महिला सिपाही मृदुला एंबुलेंस से गर्भवती व नवजात को लाए थे। समय से पहले प्रसव होने से बच्चे की मौत हो गई। रूपा का उपचार किया जा रहा है।
सीएमओ का दावा 15 मिनट में पहुंची एंबुलेंस
दूसरी ओर इस मामले में सफाई देते हुए लखनऊ के सीएमओ ने दावा किया है कि बच्चे के जन्म की सूचना राजभवन के कर्मचारियों ने उनके कंट्रोल रूम को दी थी। जिसके फौरन बाद कंट्रोल रूम ने सीएमओ फ्लीट की एंबुलेंस भेजी थी, उसके साथ 108 एंबुलेंस सेवा को भी सूचना दी गई, दोनों एंबुलेंस 15 मिनट में ही मौके पर पहुंच गयी थी। उन्होंने दो उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रवि पांडे और डॉ. संदीप सिंह को गर्भवती महिला से जानकारी लेने का भी निर्देश दिया है। गर्भवती व उसके पति ने एंबुलेंस को कोई फोन नहीं किया था। अस्पताल में भर्ती महिला का स्वास्थ बेहतर है।