आरयू ब्यूरो, लखनऊ। आधुनिक युग में तकनीक के दुरुपयोग से अपराध की प्रकृति भी बदली है। वर्तमान में कस्टमर केयर, पेंशन, बिजली बिल, वर्क फ्रॉम होम, सेक्स्टॉर्शन, लोन एप, पार्सल, फ्रेंचाइजी, फेक बेटिंग एप, क्रिप्टो इन्वेस्टमेंट, पॉन्जी स्कीम आदि क्षेत्रों से संबंधित फ्रॉड के मामले देखने को मिल रहे हैं। आम आदमी इसका शिकार बन रहा है। इससे बचाव के लिए प्रत्येक स्तर पर सतर्कता बरतनी होगी। उक्त बातें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शनिवार को अपने सरकारी आवास पर एक उच्चस्तरीय बैठक के दौरान कही।
इस दौरान मुख्यमंत्री ने साइबर सुरक्षा संबंधी प्रबंधों की समीक्षा कर कहा कि साइबर अपराधों पर सख्ती से लगाम लगाने के लिए पुलिस को प्रत्येक स्तर पर साधन-सम्पन्न किया जाए। योगी ने आगे कहा, साइबर क्राइम से बचाव के लिए जागरूकता का प्रसार करना अत्यन्त आवश्यक है। यह विषय स्कूली पाठ्यक्रमों में शामिल करना चाहिए। इसके अलावा, बेसिक शिक्षा अधिकारी व जिला विद्यालय निरीक्षक को मास्टर ट्रेनर के रूप में प्रशिक्षित करते हुए प्रधानाचार्यों-शिक्षकों और फिर विद्यार्थियों व उनके अभिभावकों को जागरूक किया जाए। इस सम्बन्ध में जागरूकता सामग्री तैयार कर इसे तत्काल क्रियान्वित किया जाए।
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मुख्यमंत्री के निर्देशों के क्रम में आगामी दो महिने के अंदर प्रदेश में 57 नए साइबर क्राइम थानों की स्थापना की जाएगी, जबकि हर थाने में साइबर हेल्प डेस्क के अलावा अब साइबर सेल भी क्रियाशील की जाएगी। सभी साइबर पुलिस क्राइम थाने स्थानीय पुलिस लाइन में स्थापित किए जाएंगे।
साथ ही सीएम ने कहा, साइबर अपराधों के अन्वेषण व विवेचना के लिए पुलिस बल के विधिवत प्रशिक्षण की आवश्यकता है। प्रदेश के प्रत्येक जनपद से पांच पुलिस अधिकारियों को राज्य स्तर पर प्रशिक्षित किया जाए। प्रशिक्षित पुलिस अधिकारियों द्वारा अपने जनपद के प्रत्येक थाने से पांच निरीक्षकों/उपनिरीक्षकों को साइट्रेन पोर्टल पर उपलब्ध कोर्स के संबंध में प्रशिक्षण दिया जाए।