आरयू वेब टीम। इस साल आयोजित हुई देश की सबसे बड़ी मेडिकल प्रवेश परीक्षा को लेकर विवाद बढ़ रहा है। देशभर से स्टूडेंट्स मौजूदा रिजल्ट का विरोध कर परीक्षा को पुनः आयोजित करने की मांग उठ रहें, सोशल मीडिया से लेकर सड़क तक पर जगह-जगह परीक्षा फिर से कराने व दोषियों पर कार्रवाई की मांग हो रही है। इस बीच राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) के महानिदेशक सुबोध सिंह ने कहा कि शिक्षा मंत्रालय ने ‘नीट-यूजी’ में कृपांक पाने वाले 1,500 से अधिक अभ्यर्थियों के परिणामों की पुन: जांच करने के लिए समिति गठित की है।
साथ ही कहा कि ‘नीट-यूजी’ कृपांक मुद्दे की समीक्षा कर रही समिति एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट सौंपेगी। हांलाकि पेपर लीक होने की बात से इंकार किया है। सिंह ने कहा कि ‘नीट-यूजी’ कृपांक मुद्दे की समीक्षा कर रही समिति एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट सौंपेगी।
शनिवार को प्रेसवार्ता में बोलते हुए सुबोध सिंह ने कहा कि हमारी समिति की बैठक हुई और उन्होंने केंद्रों और सीसीटीवी के सभी विवरणों पर गौर किया। उन्हें पता चला कि कुछ केंद्रों पर समय बर्बाद हुआ और छात्रों को इसकी भरपाई की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि समिति ने सोचा कि वे शिकायतों का समाधान कर सकते हैं और छात्रों को मुआवजा दे सकते हैं। तो कुछ छात्रों के अंक बढ़ा दिए गए। इसके कारण कुछ छात्रों की चिंताएं सामने आई हैं, क्योंकि कुछ उम्मीदवारों को 718 और 719 अंक मिले और छह उम्मीदवार टॉपर बन गए। हमने सभी चीजों का सावधानीपूर्वक विश्लेषण किया और परिणाम जारी किए।
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महानिदेशक ने कहा कि 4750 केंद्रों में से यह समस्या छह केंद्रों तक ही सीमित थी। वहीं 24 लाख छात्रों में से केवल 1600 छात्रों को ही इस समस्या का सामना करना पड़ा। पूरे देश में इस परीक्षा की शुचिता से समझौता नहीं किया गया। कोई पेपर लीक नहीं हुआ। पूरी परीक्षा प्रक्रिया बेहद पारदर्शी रही है। उन्होंने कहा कि नीट के जिन अभ्यर्थियों को कृपांक दिए गए हैं, उनके परिणाम संशोधित किए जा सकते हैं और इससे प्रवेश प्रक्रिया प्रभावित नहीं होगी। उन्होंने कहा कि वे (समिति) जल्द ही बैठक करेंगे और वे एक सप्ताह के भीतर अपनी सिफारिश प्रस्तुत कर सकेंगे।