आरयू वेब टीम। संसद के शीतकालीन सत्र में इंडिया गठबंधन के सांसदों ने आखिरकार राज्यसभा सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया है। लंबे समय से आरोपों में घिरे राज्यसभा सभापति के काम करने के तरीके से नाराज हो विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाया है। इस प्रस्ताव में सभापति पर सदन में पक्षपातपूर्ण तरीके से काम करने का आरोप लगाया गया है।
विपक्ष ने अनुच्छेद 67(बी) के तहत अविश्वास प्रस्ताव पेश किया है। प्रस्ताव के संबंध में करीब 70 सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं। कांग्रेस के साथ ही तृणमूल कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी समेत कई छोटे दल भी इस प्रस्ताव को लेकर एकजुट हैं। दरअसल अगस्त में संसद के मानसून सत्र के दौरान भी विपक्ष ने सभापति के खिलाफ हस्ताक्षर अभियान चलाया था, लेकिन उस समय पर कार्रवाई ना करने का फैसला किया गया था।
अब इंडिया ब्लॉक के कई नेता सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ असंतोष जता चुके हैं। इसके अलावा विपक्ष उन पर क्षपातपूर्ण रवैया दिखाने का आरोप लगा रहा है। इसी बीच राज्यसभा की कार्यवाही 11 दिसंबर तक स्थगित हो गई है।
इससे पहले विपक्ष ने दावा किया था कि अविश्वास प्रस्ताव पर करीब 70 सांसदों के हस्ताक्षर हो चुके हैं। इसमें आइएनडीआइए गुट की तमाम पार्टियां थी।
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जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस से दूर चल रही तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी ने भी अविश्वास प्रस्ताव का समर्थन करने का निर्णय किया है। इन दोनों पार्टियों के राज्यसभा सदस्यों ने भी प्रस्ताव पर हस्ताक्षर कर दिए हैं।
वहीं कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने कहा था, “विपक्ष लगातर सदन चलाने की मांग कर रहा है, लेकिन सभापति धनखड़ सत्ता पक्ष को सदन में गतिरोध पैदा करने का मौका दे रहे थे। आसन का ये पक्षपाती रवैया लोकतंत्र के खिलाफ है। वहीं, राज्यसभा में नेता विपक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने भी कहा था कि ऐसा कर लोकतंत्र की हत्या नहीं की जानी चाहिए।