संभल जामा मस्जिद के पास कुंए में पूजा पर रोक, सुप्रीम कोर्ट ने कहा, बगैर अनुमति न उठाएं कदम

संभल जामा मस्जिद

आरयू वेब टीम। संभल की शाही जामा मस्जिद का मामला एक बार फिर चर्चा में आ गया है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को संभल की शाही जामा मस्जिद के विवाद में योगी सरकार को नोटिस जारी किया है। इस नोटिस में सुप्रीम कोर्ट ने सरकार से स्टेटस रिपोर्ट मांगी है। संभल शाही जामा मस्जिद प्रबंधक कमेटी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है। याचिका में मस्जिद कमेटी प्रबंधन ने मांग की थी कि जिलाधिकारी को निर्देश दिया जाए कि यथास्थिति बरकरार रखी जाए, जिस निजी कुएं की खुदाई की जा रही है, वह मस्जिद की सीढ़ियों के पास है।

सुप्रीम कोर्ट ने दस जनवरी को सुनवाई के दौरान निर्देश दिया कि संभल नगर पालिका द्वारा संभल मस्जिद के पास स्थित कुएं के संबंध में जारी नोटिस पर अमल न किया जाए। यह मामला उस याचिका की सुनवाई में उठाया गया जो संभल शाही जामा मस्जिद समिति ने सर्वे के खिलाफ दायर किया था। याचिका में 19 नवंबर, 2024 को ट्रायल कोर्ट द्वारा सर्वेक्षण के आदेश को चुनौती दी गई थी। 29 नवंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने यूपी के संभल की ट्रायल कोर्ट को कहा था कि वह मुगलकालीन मस्जिद के सर्वेक्षण से संबंधित मामले में कोई आदेश पारित न करें।

सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच ने संभल की एक निचली अदालत को चंदौसी स्थित मुगलकालीन शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण मामले में कार्यवाही को अस्थायी रूप से रोकने का निर्देश दिया था और उत्तर प्रदेश सरकार को हिंसा-प्रभावित क्षेत्र में शांति और सौहार्द बनाए रखने का निर्देश दिया था।

इसी बीच शुक्रवार को चीफ जस्टिस की अगुवाई वाली बेंच ने मस्जिद समिति के वकील हुफेजा अहमदी की ओर से उठाए गए मुद्दे पर सुनवाई की। वकील ने अदालत का ध्यान नगर पालिका द्वारा जारी नोटिस की ओर दिलाया। इस दौरान चीफ जस्टिस ने याचिकाकर्ता से सवाल किया कि दूसरों को इसका उपयोग करने देने में क्या हर्ज है? इस पर अहमदी ने जवाब दिया कि नोटिस में कुएं को ‘हरी मंदिर’ कहा गया है, और आशंका जताई कि इसका उपयोग पूजा और स्नान के लिए किया जा सकता है।

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अहमदी ने कहा कि कुएं का उपयोग मस्जिद के उद्देश्यों के लिए किया जा रहा है। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम आदेश जारी करते हुए याचिका पर नोटिस जारी किया और निर्देश दिया कि नगर पालिका के नोटिस को लागू नहीं किया जाए। नोटिस के जवाब में दो सप्ताह में स्थिति रिपोर्ट दायर की जाएगी। तब तक नगर पालिका का नोटिस प्रभावी नहीं होगा। मामले की अगली सुनवाई 21 फरवरी, 2025 को होगी इस बीच सर्वेक्षण रिपोर्ट को सील में रखा जाएगा और कोई भी नया आदेश पारित नहीं किया जाएगा।

अदालत में दलीलें

हिंदू पक्ष के वकील विष्णु शंकर जैन ने तर्क दिया कि कुआं मस्जिद के बाहर है और यह विशेष अनुमति याचिका का विषय नहीं होना चाहिए।

मस्जिद समिति के वकील ने दावा किया कि कुआं आधा अंदर, आधा बाहर है।

उत्तर प्रदेश सरकार के वकील कर्नल (सेवानिवृत्त) आर बालासुब्रमण्यम ने कहा कि स्थिति शांतिपूर्ण है और वे मुद्दा खड़ा करना चाहते हैं।

अहमदी ने आरोप लगाया कि राज्य का रवैया पक्षपातपूर्ण है।

ये है मामला-

संभल के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) ने मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए एडवोकेट कमिश्नर नियुक्त करने का आदेश पारित किया। इस सर्वेक्षण के बाद 24 नवंबर को हिंसा हुई, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई। मस्जिद कमेटी ने कहा कि यह मामला पूजा स्थलों के कानून (1991) के तहत प्रतिबंधित है और ट्रायल कोर्ट ने मस्जिद पक्ष को सुने बिना ही आदेश पारित किया।

मस्जिद समिति ने कहा कि हाल के वर्षों में ऐसे सर्वेक्षण आदेश “रूटीन” बनते जा रहे हैं, जिससे सांप्रदायिक भावनाएं भड़क सकती हैं और देश की धर्मनिरपेक्ष संरचना को नुकसान पहुंच सकता है।

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