आरयू वेब टीम।
दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल के विवाद पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने दोनों के अधिकारों के बीच में लकीर खींची। हालांकि अभी भी विवाद जारी ही है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर वित्त मंत्री अरुण जेटली ने ब्लॉग में अपनी राय रखी। अधिकारियों के ट्रांसफर मुद्दे पर उन्होंने लिखा कि फैसला दिल्ली सरकार के हक में नहीं गया है।
जेटली ने कहा कि उच्चतम न्यायालय के फैसले से स्पष्ट हो गया है कि दिल्ली सरकार के पास पुलिस का अधिकार नहीं है, ऐसे में वह पूर्व में हुए अपराधों के लिए जांच एजेंसी का गठन नहीं कर सकती। उन्होंने फेसबुक पोस्ट में कहा कि इसके अलावा यह धारणा ‘पूरी तरह त्रुटिपूर्ण है’ कि संघ शासित कैडर सेवाओं के प्रशासन से संबंधित फैसला दिल्ली सरकार के पक्ष में गया है।
यह भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट का LG को बड़ा झटका, कहा कैबिनेट की सलाह पर करना होगा काम
वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि कई ऐसे मुद्दे रहे जिनपर सीधे टिप्पणी नहीं की गई है, लेकिन वहां निहितार्थ के माध्यम से उन मामलों के संकेत जरूर हैं। साथ ही इस संदर्भ में यह भी लिखा है कि जब तक कि महत्व के विषयों को उठाया न गया हो, उन पर विचार विमर्श नहीं हुआ और कोई स्पष्ट मत प्रकट न किया गया हो तब तक कोई यह नहीं कह सकता कि ऐसे मुद्दों पर चुप्पी का मतलब है कि मत एक या दूसरे के पक्ष में है।
जेटली ने आगे कहा कि दूसरी बात यह है कि उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया है कि दिल्ली अपनी तुलना अन्य राज्यों से नहीं कर सकती। ऐसे में यह कहना कि संघ शासित कैडर सेवाओं के प्रशासन को लेकर दिल्ली सरकार के पक्ष में फैसला दिया गया है, पूरी तरह गलत है। उन्होंने कहा कि यह फैसला संविधान के पीछे संवैधानिक सिद्धांत की विस्तार से व्याख्या करता है और साथ ही संविधान में जो लिखा हुआ है उसकी पुष्टि करता है।
यह भी पढ़ें- फ्रेंडली माहौल में जेटली के साथ नजर आएं केजरीवाल तो अजय माकन ने उठाया ये सवाल