आरयू ब्यूरो
लखनऊ। लंबे इंतेजार के बाद उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने विधानसभा चुनाव को लेकर अपने टिकट बटवारे को जगजाहिर कर दिया। प्रदेश कार्यालय में आज एक प्रेसवार्ता के दौरान बसपा सुप्रीमो ने बताया कि विधानसभा चुनाव में 97 मुस्लिम, 87 एससी, 106 सीटों पर ओबीसी और 113 पर सवर्णों को टिकट दिया गया है।
सवर्णों के 113 टिकट में से ब्राहम्णों को 66, क्षत्रियों को 36 बाकी बची 11 सीटों पर कायस्थ, वैश्य और पंजाबी बसपा की ओर से विधानसभा में ताल ठोकेंगे। पार्टी के जातीय आधार पर लगे आरोपों पर हमला करते हुए मायावती ने कहा कि बसपा सर्वसमाज की पार्टी है और अपने उसूलों के अनुसार उसने टिकटों का बंटवारा किया है। प्रत्याशियों के नामों की घोषणा पर मायावती ने कहा कि 403 नामों की लिस्ट काफी पहले से तैयार है। चुनाव की घोषणा होते ही जारी कर दी जाएगी।
‘भाजपा को रोकने के लिए मुस्लिमों को होना होगा एक’
मायावती ने मोदी सरकार को खोखली बयानबाजी करने वाला बताते हुए कहा कि उसने देश की जनता को ठगा है। भाजपा को प्रदेश में आने से रोकने के लिए मुस्लिम मतदातों को एक होकर बसपा को वोट देना होगा। सपा वर्चस्व की जंग के चलते दो खेमों में बट चुकी है। चुनाव में शिवपाल और अखिलेश गुट ही एक दूसरे को हराएंगे। सपा का बेस वोट यादव प्रदेश में कुल पांच से छह प्रतिशत है, जो इस बार बंटना तय है। बसपा को यूपी की सीटो पर दलितों का 22 से 23 प्रतिशत वोट मिलना तय है। मुस्लिमों का वोट मिलने से उसकी सच्ची हितैषी पार्टी की सरकार बन जाएगी।
कांग्रेस को वोट देने से होगा बीजेपी को सीधा फायदा
प्रदेश में ऑक्सिजन पर चल रही कांग्रेस को भी मुस्लिमों को वोट देने से सीधे तौर पर भाजपा का फायदा होगा। विरोधियों पर निशाना साधते हुए पूर्व सीएम ने कहा कि कुछ लोग दलितों के घर सिर्फ खाना खाकर और स्मारकम बनवाकर या फिर बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का नाम लेकर सोचते है कि दलित गुमराह हो जाएंगे तो यह उनकी भूल है, दलित उनके बहकावे में आने वाले नहीं हैं।
मोदी ने मान ली हार, उड़ चुका है चेहरे का नूर
लोकसभा चुनावी वायदे पूरा नहीं करने और नोटबंदी के चलते देश की नब्बे प्रतिशत आम जनता में त्राहि-त्राहि मचाने वाले प्रधानमंत्री जान चुके है कि वह विधानसभा चुनाव जीतने वाले नहीं है। यही वजह है कि कल हुई रैली में उन्होंने पहली बार खुद ही कह दिया कि यह चुनाव हार-जीत के लिए नहीं लड़ना है, बल्कि जिम्मेदारी के लिए लड़ना है।
मायावती ने इस पर सवाल उठाते हुए कहा कि वादा खिलाफी के बाद नोटबंदी के चलते देश की जनता को उनके ही पैसों के लिए मजबूर करने वाले मोदी देश के प्रति कौन सी जिम्मेदारी निभाना चाहते है। प्रधानमंत्री विधानसभा चुनाव में भाजपा की होनी वाली हार जानते हैं। यही वजह है कि अभी से उनके और अमित शाह के चेहरे का नूर उड़ा हुआ है।