साल के आखिरी ‘मन की बात’ में बोले मोदी, घर-घर गूंज रहा वोकल फॉर लोकल’

'मन की बात'
फाइल फोटो।

आरयू वेब टीम। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को साल के आखिरी ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम के जरिए जनता को संबोधित किया। ‘मन की बात’ रेडियो कार्यक्रम में पीएम मोदी ने सबसे पहले जनता की ओर से लिखी चिट्ठियों की बात करते हुए कहा कि, ‘अधिकतर पत्रों में लोगों ने देश के सामर्थ्य, देशवासियों की सामूहिक शक्ति की भरपूर प्रशंसा की है।

वहीं कहा कि जब जनता कर्फ्यू जैसा प्रयोग पूरे विश्व के लिए प्रेरणा बना, जब ताली-थाली बजाकर देश ने हमारे कोरोना वॉरियर्स का सम्मान किया था, एकजुटता दिखाई थी उसे भी कई लोगों ने याद किया है।’ ‘देश के सम्मान में सामान्य मानवी ने इस बदलाव को महसूस किया है। मैंने देश में आशा का एक अद्भुत प्रवाह भी देखा है। चुनौतियां खूब आई, संकट भी अनेक आए। कोरोना के कारण दुनिया में सप्लाई चैन को लेकर अनेक बाधाएं भी आई, लेकिन हमने हर संकट से नए सबक लिए।’

मोदी ने जनता से अपील करते हुए कहा कि, “देश के लोगों ने मजबूत कदम आगे बढ़ाया है। ‘वोकल फॉर लोकल’ ये आज घर-घर में गूंज रहा है। ऐसे में, अब यह सुनिश्चित करने का समय है, कि हमारे प्रोडक्ट्स विश्वस्तरीय हों। साथियों, हमें ‘वोकल फॉर लोकल’ की भावना को बनाये रखना है, बचाए रखना है, और बढ़ाते ही रहना है। आप हर साल न्यू ईयर रिजोल्युशन लेते हैं, इस बार एक रिजोल्युशन अपने देश के लिए भी जरुर लेना है।”

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प्रधानमंत्री ने देशवासियों को नववर्ष की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आपने भी अपने जीवन में महसूस किया होगा, जब हम समाज के लिए कुछ करते हैं तो बहुत कुछ करने की उर्जा समाज हमें खुद ही देता है। जब तक जिज्ञासा है, तब तक जीवन है। अभी दो दिन पहले ही गीता जयंती थी। गीता, हमें, हमारे जीवन के हर सन्दर्भ में प्रेरणा देती है। आपको यह जानकर खुशी होगी कि कश्मीरी केसर को जीआई टैग का सर्टिफिकेट मिलने के बाद दुबई के एक सुपर मार्किट में इसे लॉन्च किया गया। अब इसका निर्यात बढ़ने लगेगा। यह आत्मनिर्भर भारत बनाने के हमारे प्रयासों को और मजबूती देगा।

इसके अलावा प्रधानमंत्री ने कहा, “आज के ही दिन गुरु गोविंद जी के पुत्रों, साहिबजादे जोरावर सिंह और फतेह सिंह को दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया था। अत्याचारी चाहते थे कि साहिबजादे अपनी आस्था छोड़ दें, महान गुरु परंपरा की सीख छोड़ दें। दीवार में चुने जाते समय, पत्थर लगते रहे, दीवार ऊंची होती रही, मौत सामने मंडरा रही थी, लेकिन, फिर भी वो टस-से-मस नहीं हुए।”

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