आरयू ब्यूरो
नई दिल्ली। चुनावी समर में सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले से राजनीतिक दल भारी झंझट में फंसने से बच गए। देश की उच्चतम अदालत ने पार्टियों को आयकर कानून के दायरे से बाहर रखने को सही माना है। इस फैसले को संवैधनिक मानते हुए कोर्ट ने कहा कि यह सरकार पर निर्भर करता है कि वह आयकर दायरे में किसे छूट दे या नहीं।
इस संबंध में एक याचिका खारिज करते हुए चीफ जस्टिस जेएस खेहर और न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों को अपनी विचारधारा जीवित रखने के लिए फंड जुटाना पड़ता है। आगे कहा कि कृषि से होने वाली आमदनी को आयकर कानून से दूर रखा गया है तो इसे भी रखा जा सकता है।
यह देश पर शासन करने वाले पर डिपेंड करता है कि वह किसे इस दायरे के अंदर और किसे बाहर रखना चाहता है। बता दें कि इस संबंध में याचिकाकर्ता वकील एचएल शर्मा ने कुछ समय पहले जनहित याचिका दायर करते हुए राजनीतिक पार्टियों को भी आयकर कानून के भीतर करने की गुहार लगाई थी।