आरयू ब्यूरो
लखनऊ। राजधानी की सूरत बिगाड़ने और शहरवासियों का उनके घर में ही सुकून छीनने का ताना-बाना बुनने वाला लखनऊ विकास प्राधिकरण बदनाम होने के बाद भी सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। तमाम विरोध के बाद भी रसूखदारों को घरों में व्यापार करने की छूट देने के लिए संघर्षत एलडीए के भ्रष्ट अधिकारी एक तीर से कई शिकार करना चाहते हैं।
घरों में अवैध रूप से चल रही व्यवसायिक गतिविधियों को रोकने में बिल्डिंग मालिक के रसूख के सामने नीरीह और मासूम बनने वाले एलडीए के अधिकारी और इंजीनियर मानकों को दर किनार कर शहर भर में करीब एक हजार अवैध व्यवासायिक बिल्डिंगों का निर्माण भी करा रहे है। प्रवर्तन दल के एक इंजीनियर ने इसकी पुष्टि करने के साथ इनकी संख्या और ज्यादा होने की बात पर भी सहमति जताई है।
शहर के कोने-कोने में हो रहा निर्माण
अवैध निर्माण की नई फसल आपको गोमतीनगर, इन्दिरानगर, महानगर, कपूरथला, अलीगंज जैसे पॉश इलाके हो या फिर चौक, अमीनाबाद, नाका, हुसैनगंज, हसनगंज, कैसरबाग, सआदतगंज समेत अन्य घनी आबादी वाले क्षेत्र और उनकी गलियों समेत शहर के हर कोने में तेजी से तैयार होती आसानी से दिख जाएंगी।
इन पर शिकंजा कसने के लिए गठित एलडीए के करीब 50 इंजीनियरों और लगभग इतने ही सुपरवाइजरों की फौज ने इस ओर से आंखे फेर रखा है।
शातिर अफसर फैला रहे भ्रमजाल
आम जनता, बोर्ड सदस्य, एलडीए कर्मचारी संघ समेत अन्य लोगों के विरोध के बाद भी कुछ सौ रसूखदारों को आवासीय भू-खण्ड पर बैंक, शोरूम, होटल, स्कूल, नर्सिंग होम समेत अन्य तरह के व्यापार कराने के लिए एलडीए यू हीं नहीं बेचैन है। जानकार बताते है कि रसूखदारों को छूट मिलते ही वह तो खुश हो जाएंगे।
दूसरी ओर शहर में करीब पचास हजार घरों में अवैध रूप से चल रहे व्यापार पर एलडीए का भ्रमजाल फैल जाएगा। फिलहाल शहर में यह व्यवस्था नहीं होने से आवासीय इलाके में व्यापार होता देख लोग फौरन उसे अवैध मान लेते है।
चंद लोगों को यह छूट मिलते वैध-अवैध के बीच संशय की स्थित बन जाएगी और फिर कोई भी घरों में हो रहे व्यापार के तरीके को एक झटके में अवैध नहीं कह सकेगा। इसके चलते न सिर्फ अधिकारियों पर उंगलियां उठनी कम हो जाएंगी बल्कि उनकी अवैध कमाई भी जारी रहेगी।
कईयों ने कुर्सी बचाई तो कुछ ने कद भी बढ़ाया
एक अफसर ने बताया कि विधायक-मंत्रियों और शासन स्तर के बड़े अधिकारियों को एलडीए के जुगाड़ु अधिकारी और इंजीनियर काफी समय से मन मुताबिक सेवाएं दे रहे है। उन्हीं पहुंच वालों की देन है कि कई सारे इंजीनियर, अधिकारी और बाबू नियमों को दर किनार कर लंबे समय से एक ही कुर्सी पर जमे है। कुछ तो ने गुणा-गणित से अपने कुर्सी का कद भी बढ़वा लिया।
आप भी जानें इस गंभीर विषय पर क्या है एलडीए वीसी और पूर्व डीएम सत्येंद्र सिंह यादव के विचार
बात सिर्फ एक हजार अवैध निर्माण की नहीं है। उसके अलावा भी शहर में करीब चार लाख ऐसे भवन है जो बिना नक्शे या फिर नक्शे के विपरीत बने है। यह पचासों साल की समस्या है। इसके लिए बिजली, पानी और सीवर जैसी सुविधाएं देने वाले विभाग भी जिम्मेदार है। अवैध निर्माण की शिकायत मिलने पर कार्रवाई की जाती है।
एलडीए कर्मचारी संघ अध्यक्ष शिव प्रताप सिंह
शहर में हो रहे अवैध निर्माण के पीछे प्रवर्तन दल की मुख्य भूमिका है। पहले इसके इंजीनियर गलत कामों को बढ़ावा देते है और बाद में रसूखदारों व सत्ताधारियों से एलडीए पर दबाव बनवाकर उसे बचाने में लग जाते है।