आरयू वेब टीम। देश में मॉब लिंचिंग की बढ़ती घटनाओं के बीच फिल्म जगत व 49 जानी-मानी हस्तियों, जिनमें फिल्मकार, सामाजिक कार्यकर्ता तथा उद्यमी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर उनका ध्यान ‘हाल ही के समय में हुई कई घटनाओं’ की तरफ दिलाया है, जिनमें खासतौर से मॉब लिंचिंग की कई वारदात और ‘जय श्री राम’ के नारे को ‘युद्ध की ललकार’ बनाकर हथियार की तरह इस्तेमाल किया जाना शामिल है।
पीएम को लिखे गए में कहा गया है कि, “प्रिय प्रधानमंत्री… मुस्लिमों, दलितों तथा अन्य अल्पसंख्यकों की लिंचिंग तुरंत रोकी जानी चाहिए… हम नेशनल क्राइम रिकॉर्ड्स ब्यूरो की रिपोर्टों से यह जानकर स्तब्ध हैं कि वर्ष 2016 में दलितों के प्रति अत्याचार की कम से कम 840 वारदात दर्ज हुईं, और इनमें दोषी करार दिए जाने में निश्चित रूप से इस दौरान कमी आई।
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लेटर के मुताबिक, “प्रधानमंत्री जी, आपने संसद में इस तरह की लिंचिंग की निंदा की थी, लेकिन वह काफी नहीं है… हम मानते हैं कि इस तरह के अपराधों को गैर-जमानती घोषित कर दिया जाना चाहिए। अफसोसनाक तरीके से ‘जय श्री राम’ का नारा उत्तेजक ‘युद्ध की ललकार’ में तब्दील हो गया है, जिसकी वजह से कानून एवं व्यवस्था की समस्याएं पैदा होती है, और उनके नाम से लिंचिंग की कई घटनाएं होती हैं।
राम के नाम को अपमानित किए जाने पर लगानी होगी रोक
यह जानना स्तब्ध कर देता है कि धर्म के नाम पर इतनी ज्यादा हिंसा फैला दी जाती है… यह मध्य युग नहीं है… राम का नाम भारत के बहुसंख्यक समुदाय के बहुत-से लोगों के लिए पवित्र है… देश के सबसे बड़े कार्यपालक होने के नाते आपको राम के नाम को इस तरह अपमानित किए जाने पर रोक लगानी होगी।”
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सत्ता की आलोचना का अर्थ देश की आलोचना नहीं होता
साथ ही यह भी कहा गया है, “सत्तासीन दल की आलोचना करने का अर्थ देश की आलोचना करना नहीं होता है… कोई भी सत्तारूढ़ दल सत्ता में रहने के दौरान देश का समानार्थी नहीं होता है… वह तब भी देश में मौजूद राजनैतिक दलों में से एक ही होता है, इसलिए सरकार-विरोधी रुख को देश विरोधी भावना नहीं बताया जा सकता। एक खुले वातावरण में, जहां विरोध को दबाया नहीं जाता, तब ही मजबूत देश बनता है…”पत्र में कहा गया है, “हमें आशा है, हमारे सुझावों को उन्हीं भावनाओं के साथ समझा जाएगा, जिनमें ये दिए गए हैं, क्योंकि भारतीय देश के भविष्य को लेकर वास्तव में चिंतित हैं।”
पत्र में फिल्मकार श्याम बेनेगल, केतन मेहता, अनुराग कश्यप व मणिरत्नम, अभिनेत्री कोंकणा सेन शर्मा व अपर्णा सेन तथा इतिहासकार रामचंद्र गुहा, फिल्मकार अदूर गोपालकृष्णन, सामाजिक कार्यकर्ता अनुराधा कपूर व अदिति बसु एवं लेखक अमित चौधरी सहित कई जानी-मानी हस्तियों द्वारा हस्ताक्षर किए हैं।