आरयू ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश पावर कारपोरेशन लिमिटेड प्रबंधन के उत्तर प्रदेश स्टेट पावर सेक्टर इम्प्लाइज ट्रस्ट में जमा करोड़ों रुपये के असुरक्षित निवेश के मामले में उर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने अखिलेश सरकार को दोषी माना है। अखिलेश यादव पर पलटवार करते हुए योगी सरकार के प्रवक्ता व कैबिनेट मंत्री ने रविवार को प्रेस कांफ्रेंस कर कहा कि फाइनेंस कंपनियों में निवेश का निर्णय एक दिन में नहीं लिया गया। इसकी पटकथा 2014 में सपा राज में लिखी गई थी। मामले में ईडी भी जांच करेगी।
मीडिया से बात करते हुए श्रीकांत शर्मा ने सपा सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि अप्रैल 2014 को हुई ट्रस्ट बोर्ड की बैठक में यह निर्णय लिया गया था कि बैंक से इतर अधिक ब्याज देने वाली संस्थाओं में भी निवेश किया जा सकता है। इसी फैसले को आधार बनाकर हाउसिंग फाइनेंस कंपनियों में निवेश की प्रक्रिया दिसंबर 2016 में प्रारंभ की गई।
श्रीकांत शर्मा ने कहा कि योगी सरकार ने अपनी भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस की नीति के तहत एक बार फिर इस मामले में बड़ी कार्रवाई की है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने रविवार को ऊर्जा विभाग में 45000 कर्मचारियों के 2268 करोड़ रुपये के पीएफ घोटाला मामले की जांच सीबीआइ को सौंपने की सिफारिश की है। इस प्रकरण पर सीबीआइ जांच कराने का पत्र केंद्र सरकार को भेज दिया है।
वहीं मामले में दो नवंबर 2019 को मामले में हजरतगंज कोतवाली में सुसंगत धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया गया है। उन्होंने बताया कि मामले में दो अफसरों को गिरफ्तार किया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सीबीआइ जांच की सिफारिश करते हुए डीजीइओडब्ल्यू को भी जांच के आदेश दिए।
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ऊर्जा मंत्री ने कहा, मामले में जो भी अधिकारी दोषी होंगे सरकार उनके खिलाफ कड़ी कार्यवाही करेगी। उन्होंने भरोसा दिलाया कि किसी भी कर्मचारी का अहित नहीं होगा। पावर कार्पोरेशन सभी देयों का भुगतान करेगा। उन्होंने बताया कि दीवान हाउसिंग फाइनेंस कंपनी लिमिटेड (डीएचएफएल) में निवेश 17 मार्च 2017 से प्रारंभ किया गया। अनियमितता के संबंध में दस जुलाई 2019 को पॉवर कारपोरेशन के अध्यक्ष को शिकायत प्राप्त हुई थी।
जिस पर 12 जुलाई 2019 को निदेशक वित्त की अध्यक्षता में जांच के आदेश दिये गए। मामले पर जांच समिति ने 29 अगस्त 2019 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की। जांच रिपोर्ट में सामने आया कि मामले में गंभीर वित्तीय अनियमितता की गई है, जिसमें भारत सरकार के निवेश नियमों का सीधे तौर पर उल्लंघन किया गया।
वहीं एक अक्टूबर 2019 को मामले की विस्तृत जांच हेतु पॉवर कारपोरेशन की सतर्कता विंग को निर्देशित किया गया। दस अक्टूबर 2019 को ट्रस्ट के तत्कालीन सचिव पीके गुप्ता को निलंबित कर विभागीय जांच के निर्देश दिये गए। ऊर्जा मंत्री ने ये भी बताया कि विजिलेंस विंग की संस्तुति के आधार पर प्रकरण में आपराधिक मामला दर्ज कराने का निर्णय लिया गया।
यहां बताते चलें कि अखिलेश यादव ने शनिवार को योगी सरकार पर निशाना साधने के साथ ही उनकी कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए थे। सपा अध्यक्ष ने कहा कि इस सरकार में बिजली कर्मचारियों के 16 अरब रुपए डीएचएफसीएल जैसी डिफाल्टर कंपनी में लगा दिए गए हैं। इस कंपनी के आतंकवादी इकबाल मिर्ची और दाऊद से संबंध बताए जाते हैं। अखिलेश ने मांग करते हुए आगे कहा कि अब सवाल ये उठता है कि बिजली कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई के पैसे कौन लौटाएगा? इस मामले की उच्च स्तरीय जांच हो तभी इस वित्तीय अनियमितता का खुलासा होगा।