PF घोटाले पर बोले अजय कुमार, बिना सरकारी संरक्षण के नहीं हो सकता इतना बड़ा घोटाला, FIR के बावजूद निवेश कराया पैसा

विकास प्राधिकरण का भ्रष्‍टाचार

आरयू ब्‍यूरो, लखनऊ। यूपी पावर कॉपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) में हुए पीएफ घोटाले के मामले को लेकर विपक्षी दल लगातार योगी सरकार पर हमला बोल रहें हैं। रविवार को कांग्रेस के प्रदेश अध्‍यक्ष अजय कुमार लल्‍लू ने एक प्रेसवार्ता करते हुए इस घोटाले के लिए सीधे तौर पर योगी सरकार को जिम्‍मेदार ठहराया है।

अजय कुमार ने कहा कि उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन के 45 हजार से ज्यादा कर्मचारियों के जीवन भर की कमाई  योगी सरकार के कारण डूब गयी है। उन्‍होंने भाजपा सरकार पर मामले को दबाने का आरोप लगाते हुए आगे कहा कि इस मामले में सरकार ने प्रियंका गांधी के ट्वीट के बाद ही कुछ नीचे के अधिकारियों पर नाम मात्र की कार्रवाई अब तक की है, जबकि बीती दस जुलाई को ही गुमनाम शिकायत के बाद 28 अगस्त 2019 को घोटाले की पुष्टि हो चुकी थी, लेकिन उसके बाद भी योगी सरकार ने इस पर कोई कार्रवाई जानबूझकर नहीं की थी। बिना सरकार के संरक्षण के इतना बड़ा घोटाला नहीं हो सकता। चूंकि भाजपा सरकार की डीएचएफसीएल कंपनी से मिलीभगत रही इसलिए कंपनी पर कार्रवाई करने के बजाय खुद को बचाने में लगी रही।

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साथ ही उन्‍होंने आगे कहा कि डीएचएफसीएल एक डिफाल्टर कंपनी है, यह कंपनी न तो सेबी में रजिस्टर्ड है न सुरक्षित (अन सेक्योर्ड) है। तमाम निवेशकों ने पहले से ही इस पर एफआइआर दर्ज कराई थी। इसके बावजूद योगी सरकार ने इसमें कर्मचारियेां के भविष्य निधि का निवेश कराना जारी रखा। आश्चर्यजनक रूप से कर्मचारियेां का पैसा तब तक इस कंपनी में निवेश किया जाता रहा, जब तक इस कंपनी ने स्वयं पैसा लेना बंद नहीं किया।

पिछली सरकार पर जिम्मेदारी डालने से नहीं चलेगा काम

वहीं इस दौरान उर्जा मंत्री द्वारा इस घोटाले के लिए सपा सरकार में लिखी गयी पटकथा को जिम्‍मेदार बताने वाले बयान पर प्रदेश अध्‍यक्ष ने कहा कि योगी सरकार का पिछली सरकार पर जिम्मेदारी डालने से काम नहीं चलेगा, जब 21 महीने में हर काम की जांच हुई तो आखिर इसे क्यों छोड़ा गया?

श्रीकांत शर्मा को खुद लेनी चाहिए जिम्मेदारी

डीएचएफएल कंपनी में पावर कार्पोरेशन के कर्मचारियों के 99 प्रतिशत फण्ड को निर्धारित नियमों के विरूद्ध जाकर तीन प्राइवेट कंपनियों में निवेशित किया गया, जिसमें से अकेले 65 प्रतिशत डीएचएफएल को दिया गया। इसमें से 1854 करोड़ रूपये की एफडी के माध्यम से एक साल के लिए और 2268 करोड़ की दूसरी एफडी तीन साल के लिए दी गयी। पहली एफडी दिसम्बर 2018 को मेच्योर होने के बाद वापस आ गयी, किन्तु दूसरी एफडी जो कि 2268 करेाड़ रूपये की थी, डूब गयी है। जिसके लिए ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा को खुद जिम्मेदारी लेनी चाहिए।

वाधवान-भाजपा के बीच क्या संबंध

कांग्रेस के प्रदेश अध्‍यक्ष ने सवाल उठाते हुए कहा कि डीएचएफएल के मालिक वाधवान ने व्यक्तिगत तौर पर भाजपा को लगभग बीस करोड़ रूपये का चंदा दिया था। आखिर वाधवान एवं भाजपा के बीच क्या संबंध है, भाजपा इसका खुलासा करे?

लाया जाए विजिटर बुक जनता के सामने

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि इसके अलावा शक्ति भवन में 15वीं मंजिल पर ऊर्जा मंत्री का कार्यालय व मंत्री आवास सहित उनके मथुरा के आवास राधा वैली के विजिटर बुक को जनता के सामने लाया जाए, ताकि पता चले कि कौन-कौन लोग इस भ्रष्टाचार से जुड़े हैं।

साथ ही कांग्रेस तमाम कर्मचारी संगठनों की मांगों के साथ पूरी दृढ़ता से खड़ी है, जिसमें सरकार द्वारा कर्मचारियों की गाढ़ी कमाई के निवेश की जानकारी के बारे में श्‍वेत पत्र जारी करे और कर्मचारियों के भविष्य से खिलवाड़ करने वाले ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के विजिटर बुक की जांच कर उनसे मुलाकात करने वाले उच्च स्तर पर घोटाले से जुड़े हुए लोगों का श्रीकांत शर्मा के साथ संबंध का पर्दाफाश किया जाए।

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वहीं अपने एक अन्‍य सवाल में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि भ्रष्टाचार पर सदन से लेकर हर जगह जीरो टॉलरेंस की बात करने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ क्या ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा, तत्कालीन चेयरमैन तथा एमडी को बर्खास्त कर उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज करा उनकी आपराधिक जिम्मेदारी सुनिश्चित करेंगे।

बताते चलें कि कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने बीती एक नवंबर को इस संबंध में ट्विट करते हुए कहा था कि यूपी भाजपा सरकार ने राज्य के पॉवर कार्पोरेशन के कर्मियों की भविष्य निधि का पैसा डीएचएफसीएल जैसी डिफाल्टर कंपनी में फंसा दिया है।

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उन्‍होंने सवाल उठते हुए आगे कहा था कि किसका हित साधने के लिए कर्मचारियों की दो हजार करोड़ से भी ऊपर की गाढ़ी कमाई इस तरह की कंपनी में लगा दी गई? कर्मचारियों के भविष्य के ये खिलवाड़ क्या जायज है?

वहीं इस मामले के सामने आने के बाद दो नवंबर को योगी सरकार ने यूपीपीसीएल के पूर्व निदेशक वित्‍त सुधांशु द्विवेदी और इम्‍पलाइज ट्रस्‍ट के ततकालीन सचिव प्रवीण कुमार गुप्‍ता के खिलाफ मामला दर्ज कराते हुए गिरफ्तारी कराई थी। हालांकि सरकार की इस कार्रवाई को विपक्षी दल मात्र घोटाले के इस खेल की बड़ी मछलियों को बचाने का हथकंडा बता रहें हैं।