आरयू वेब टीम। विवादों और विरोध के बीच गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट के पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने राज्यसभा के सदस्य के रूप में शपथ ली। इस दौरान कांग्रेस सांसदों ने शेम-शेम के नारे लगाए। हालांकि, इसके बाद विपक्षी दलों के सांसदों ने सदन से वॉक आउट किया।
पूर्व चीफ जस्टिस रंजन गोगोई पत्नी के साथ राज्यसभा सासंद सदस्य के रूप में शपथ लेने के लिए संसद भवन पहुंचे थे। उच्च सदन की कार्यवाही शुरू होने पर गोगोई जैसे ही शपथ लेने निर्धारित स्थान पर पहुंचे, वैसे ही विपक्षी सदस्यों ने शोर शराबा शुरू कर दिया। इस पर राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि ऐसा व्यवहार सदस्यों की मर्यादा के अनुरूप नहीं है। इसके बाद गोगोई ने सदन के सदस्य के रूप में शपथ ली। हालांकि, विपक्षी सदस्यों ने सदन का वॉक आउट भी किया।
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इस दौरान कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी दलों ने गोगोई की नियुक्ति को न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर हमले बताकर इसकी आलोचना की। वहीं चार महीने पहले शीर्ष न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश पद से रिटायर हुए जस्टिस गोगोई ने अपनी नियुक्ति का बचाव करते हुए कहा था कि संसद में उनकी मौजूदगी विधायिका के सामने न्यायापालिका के रुख को रखने का एक अवसर होगी। उन्होंने कहा था कि न्यायपालिका और विधायिका को राष्ट्र निर्माण के लिए मिलकर काम करने की जरूरत है। गोगोई ने कहा था कि राज्यसभा में अपनी मौजूदगी के जरिये वह न्यायपालिका के मुद्दों को असरदार तरीके से उठा सकेंगे।
पूर्व प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई को राज्यसभा में नामित करने के फैसले पर उनके पूर्व सहयोगी जस्टिस ने भी सवाल उठाए थे। इन सवालों के पीछे उनके अयोध्या और राफेल मामलों पर सुनाए गए फैसले हैं। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस कुरियन जोसेफ ने कहा है कि भारत के एक पूर्व मुख्य न्यायाधीश द्वारा राज्यसभा के सदस्य के रूप में नामांकन की स्वीकृति ने निश्चित रूप से न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर आम आदमी के विश्वास को हिला दिया है।