आरयू ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश में एक बार फिर ब्राह्मणों को लेकर राजनीत तेज होती दिखाई जा रही है। ब्राह्मण वोटों को अपनी ओर साधने की राजनीतिक पैतरों के बीच बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी सपा हमला बोला है।
सपा द्वारा परशुराम की प्रतिमा लगाने की बात को लेकर आज यूपी की पूर्व सीएम मायावती ने कहा है कि अगर सपा सरकार को परशुराम की प्रतिमा लगानी ही थी तो अपने शासन काल के दौरान ही लगा देते। बसपा किसी भी मामले में सपा की तरह कहती नहीं है कर के भी दिखाती है। बसपा की सरकार बनने पर सपा की तुलना में परशुराम जी की भव्य मूर्ति लगाई जाएगी।
मायावती ने सपा पर हमला जारी रखते हुए मीडिया से कहा है कि समाजवादी पार्टी अब ब्राह्मण समाज के वोटों की खातिर अपने राजनीतिक स्वार्थ में ‘परशुराम’ की ऊंची प्रतिमा लगाने की बात कर रही है। सपा चुनाव नजदीक देखकर ऐसी बात कर रही है, इससे साफ है कि सपा की स्थिति प्रदेश में बहुत ज्यादा खराब हो रही है। ऐसे में ब्राह्मण समाज सपा के साथ कतई जाने वाला नही है। वैसे भी सपा सरकार में ब्राह्मणों का उत्पीड़न और शोषण सबसे अधिक हुआ है। ब्राह्मण समाज को बसपा पर पूरा भरोसा है।
राम मंदिर निर्माण के नाम पर राजनीति उचित नही
वहीं राज मंदिर के भूमि पूजन में देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को निमंत्रण नहीं दिए जाने के बाद से उठे सवाल पर मायावती ने कहा कि राम मंदिर निर्माण के नाम पर राजनीति उचित नही है। राम मंदिर लोगों की धार्मिक आस्था व भावनाओं से ही जुड़ा है। उन्होंने कहा कि पांच अगस्त को भूमि पूजन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दलित समाज के राष्ट्रपति को भी बुलाया जाता तो दलित समाज में बेहतर संदेश जाता। दलित संत भी चिल्लाते रहे कि उनकी उपेक्षा की गई व उनका तिरस्कार हुआ इसपर भी ध्यान नहीं दिया गया। बसपा का मानना है कि अयोध्या में केवल राम मंदिर निर्माण करने और रामराज्य के कोरे गुणगान से भला होने वाला नही है।