आरयू ब्यूरो, लखनऊ। कोरोना काल में राजधानी लखनऊ के निजी अस्पतालों में कोरोना संक्रमितों की जांच, शिफ्टिंग और इलाज में बड़ी लापरवाही सामने आई है। शहर के चार निजी अस्पतालों से कुल 48 कोरोना संक्रमित रेफर और भर्ती किए गए थे। इन सभी मरीजों की इलाज के दौरान मौत हो गई। वहीं मामले का संज्ञान लेते हुए इस पर जिलाधिकारी ने चारों निजी अस्पतालों को नोटिस जारी कर बुधवार को स्पष्टीकरण मांगा है। नोटिस के मुताबिक, इसमें लापरवाही बरतने वाली निजी अस्पतालों के खिलाफ ऐपिडेमिक ऐक्ट के तहत सख्त कार्रवाई भी होगी।
प्राप्त जानकारी के अनुसार चरक अस्पताल में दस संक्रमित भेजे गए थे सभी ने कुछ दिनों में ही दम तोड़ दिया। इसके अलावा चंदन हॉस्पिटल में रेफर किये गए 11 कोरोना संक्रमित मरीजों की भी मौत कुछ दिनों में हो गई। अपोलो हॉस्पिटल में 17 संक्रमित भेजे गए थे, यहां भी सभी की कुछ दिनों में मौत हो गई, जबकि मेयो हॉस्पिटल में दस मरीज भेजे गए और सभी की जान चली गई। इन सभी अस्पतालों पर लापरवाही बरतने का आरोप है।
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नियम के मुताबिक, अस्पतालों में आने वाले सामान्य मरीजों की भी पहले कोरोना जांच होनी चाहिए। कई जगह मरीजों की कोरोना जांच नहीं करवाई गई और उन्हें भर्ती कर लिया गया। बाद में मरीज की तबीयत बिगड़ने पर कोरोना जांच करवाई गई तो रिपोर्ट पॉजिटिव आई। इसके अलावा कई अस्पतालों में संक्रमितों को शिफ्ट करने में देरी के भी मामले सामने आए। डीएम अभिषेक प्रकाश ने बताया कि प्रथम दृष्टया मरीजों की जांच में लापरवाही सामने आई है।
इस पर अस्पतालों से जवाब मांगा गया है। अस्पतालों से पूछा गया है कि आखिर क्या वजह है कि अब तक भेजे गए सभी कोविड संक्रमितों की मौत हो गई। जवाब मिलने के बाद अस्पताल पर कार्रवाई की जाएगी।