आरयू ब्यूरो,लखनऊ। उत्तर प्रदेश को नफरत की राजनीति का केंद्र बताते हुए 104 पूर्व आइएएस अधिकारियों द्वारा सीएम योगी को लिखे गए लेटर पर योगी सरकार के मंत्री ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। बुधवार को मीडिया से बात करते हुए आरपी सिंह ने पूर्व आइएएस अधिकारियों पर निशाना साधते हुए कहा कि उन अधिकारियों को सेवा के दौरान गलत तरीके से हासिल की गई संपत्ति को खोने का डर सता रहा है।
आरपी सिंह ने कहा, ‘पत्र लिखने वालों में से कुछ अधिकारियों ने सेवा के दौरान गलत तरीके से संपत्ति बनाई। अब उन्हें इसे खोने का डर सता रहा है। यदि योगी जी मुख्यमंत्री बने रहे तो उनकी संपत्तियों की जांच की जाएगी। इसी बात से वे लोग चिंतित हैं।’ इसलिए वो ऐसा कह रहे है।
गौरतलब है कि 104 पूर्व नौकरशाहों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर कहा है कि ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध कानून 2020’ ने राज्य को नफरत, विभाजन और कट्टरता की राजनीति का केंद्र बना दिया है।
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पत्र लिखने वालों में पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार रहे शिवशंकर मेनन, पूर्व विदेश सचिव निरुपमा राव, पूर्व प्रधानमंत्री के सलाहकार रहे टीकेए नायर जैसे नौकरशाह शामिल हैं। पत्र के मुताबिक, एक समय गंगा-जमुनी तहजीब को सींचने वाला राज्य उत्तर प्रदेश अब कट्टरता की राजनीति का केंद्र बन चुका है।
पत्र में कहा गया है कि नया कानून अल्पसंख्यकों के खिलाफ साजिश है और उन्हें परेशान करने के लिए बनाया गया है। लव जिहाद का नाम राइट विंग विचारधारा रखने वालों ने दिया है। इसमें कथित पर मुस्लिम पुरुष हिंदू महिलाओं को बहलाकर शादी करते हैं और फिन उन पर धर्म परिवर्तन का दबाव बनाते हैं। ये केवल मनगढ़ंत कहानी है। यह एक तरफ का जघन्य अत्याचार है जो युवाओं के खिलाफ आपके प्रशासन ने किया है। पूर्व नौकरशाहों ने हाल की ही इलाहाबाद हाईकोर्ट की टिप्पणी का हवाला दिया है, जिसमें कहा गया है कि अगर लड़का और लड़की बालिग हैं और खुद की मर्जी से शादी कर रहे हैं तो इसमें कहीं से भी कोई अपराध नहीं है।