आरयू ब्यूरो, लखनऊ। यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोमवार को एक बार फिर भाजपा सरकार पर हमला बोला है। सपा मुखिया ने कहा कि उत्तर प्रदेश में भाजपा सरकार ने जनता की अपेक्षाओं और अपने ही घोषित निर्णयों का मजाक बनाकर लोकतंत्र की भावनाओं पर गहरा आघात किया है। ये तो शुरू से ही लगा था कि भाजपा बड़े-बड़े थोथे वादे करके उससे मुकर जाने वाली पार्टी है। चार वर्ष के कार्यकाल में ही भाजपा सरकार ने जनता के विश्वास को धोखा दिया है और सबके साथ के नारे को भुला दिया है।
यह भी पढ़ें- अखिलेश का मोदी पर तंज, “जहां बीमार वहीं उपचार’ का नया नारा लेकर आ गए प्रधानमंत्री”
सपा मुखिया ने भाजपा हमला करते हुए कहा है कि भाजपा न तो कोरोना से लड़ाई में गंभीर है और नहीं कोरोना संक्रमित सेवा कर्मियों की शहादत का सम्मान करती है, उसके नेता तो बस विधानसभा चुनाव लड़ने की रणनीति बनाने में ही जुटे हुए हैं। भाजपा का न विकास से और नहीं जनहित से दूर-दूर तक संबंध है। लोकतंत्र में जनता को धोखा देने का महापाप करने में भी बीजेपी को संकोच नहीं। उसे बस सत्ता की भूख है और उसके लिए वह किसी हद तक जा सकती है।
अखिलेश ने ये भी आरोप लगाया कि कोरोना की महामारी के दौर में दिन रात एक कर मरीजों की सेवा में लगे स्वास्थ्य कर्मियों तथा अन्य कर्मचारियों के संक्रमण में मृत्यु पर मुख्यमंत्री उनके परिवारजनों को आर्थिक मदद के एलान करते रहे। प्रधानमंत्री तो कोरोना संक्रमण में जान गंवाने वालों की याद में कई बार भावुक होते दिखाई दिए हैं, लेकिन हर वादे को धुएं की तरह हवा में उड़ा देने में भाजपा ने बड़ी महारत हासिल कर ली है।
सूची में गड़बड़ी करने से बाज नहीं आ रहे अधिकारी
इतना ही नहीं कोरोना के कारण जान गंवाने वालों के साथ नाइंसाफी से भाजपा सरकार की अमानवीयता और संवेदनहीनता की साफ झलक मिलती है। कानपुर में जान गंवाने वाले दारोगा मुकेश आर्य के परिजनों को सात माह बाद भी ना नौकरी मिली और नहीं पेंशन। मां को साथ लेकर बेटा अधिकारियों के चक्कर लगा रहा है। शासन ने स्वीकृत की थी 50 लाख की सहायता राशि जो बंटी नही। सपा सुप्रीमो ने आरोप लगाते हुए कहा कि अधिकारी कोरोना से जान देने वालो की सूची में भी गड़बड़ी करने से बाज नहीं आ रहे हैं। कानपुर के काकादेव थाने में तीन दारोगा समेत आठ पुलिस कर्मियों की मौत हुई मगर शासन को दो दारोगा के ही नाम भेजे गए। लखनऊ में कोरोना की वजह से जान गंवाने वाले एलडीए के इंजीनियर एस के अग्रवाल के परिजनो को पीएफ का एक पैसा भी नहीं दिया गया।
1600 से अधिक शिक्षक ने गंवाई पंचायत चुनाव में जान
अखिलेश यादव ने कहा कि 1600 से ज्यादा शिक्षक पंचायत चुनावों की ड्यूटी में अपनी जान गंवा बैठे। बेसिक शिक्षा मंत्री केवल तीन शिक्षकों का नाम लेकर रुक गए। बाद में दबाव पड़ने पर और नाम जोड़ने का निर्णय हुआ। बड़ी संख्या में डॉक्टर, पैरामेडिकल स्टाफ, एम्बुलेंस सेवा के भी कर्मी कोरोना संक्रमित हुए और उनकी सांसे थम गई। कुछ के परिवारों के एक मात्र कमाने वाले की मौत से तो आश्रितों का जीवन ही अंधकारमय हो गया है।