आरयू ब्यूरो, लखनऊ। पेगासस जासूसी कांड को लेकर राजनीतिक पार्टियां केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावार हैं। इस बीच यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सोमवार को भाजपा सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी जासूसी के सख्त खिलाफ है। ये जानना जरूरी है कि भाजपा को लोगों का भारी समर्थन हासिल है, उसके बाद भी जासूसी कराने की उसको क्यों जरूरत पड़ी। हम इस जासूसी के लिए जेपीसी (ज्वाइंट पार्लियामेंट्री कमेटी) की मांग करते हैं।
इससे पहले अखिलेश यादव ने कहा था कि फोन की जासूसी करवाकर लोगों की व्यक्तिगत बातों को सुनना ‘निजता के अधिकार’ का घोर उल्लघंन है। अगर ये काम भाजपा करवा रही है तो ये दंडनीय है। अगर भाजपा सरकार ये कहती है कि उसे इसकी जानकारी नहीं है तो ये राष्ट्रीय सुरक्षा पर उसकी नाकामी है। अखिलेश यादव ने फोन जासूसी एक लोकतांत्रिक अपराध बताया था।
ये है मामला
दरअसल, दस देशों के मीडिया समूह के कई पत्रकारों ने मिलकर एक खुलासा किया है, जिसमें यह बात सामने आई है कि इजरायली कंपनी एनएसओ स्पाईवेयर पेगासस के जरिए दुनियाभर की सरकारों ने नेताओं, मंत्रियों, जजों, पत्रकारों और प्रभावशाली लोगों की जासूसी कराई है। फ्रांस की एक संस्था ने इस बारे में जानकारी जुटाई है कि इजरायली जासूसी नेटवर्क का इस्तेमाल भारत में भी किया गया था।
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भारत के दो केंद्रीय मंत्रियों, 40 से अधिक पत्रकारों, विपक्ष के तीन नेताओं और एक मौजूदा न्यायाधीश सहित बड़ी संख्या में कारोबारियों और अधिकार कार्यकर्ताओं के 300 से अधिक मोबाइल नंबर हो सकता है कि हैक किए गए हों। इस रिपोर्ट के आने के बाद से ही हंगामा मचा हुआ है। पेगासस जासूसी कांड की रिपोर्ट का हवाला देते हुए विपक्षी दलों ने संसद से लेकर सड़क तक केंद्र की मोदी सरकार को कटघरे में खड़ा कर दिया। राजनीतिक दलों ने पेगासस जासूसी कांड की संसदीय समिति से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक से मामले की जांच कराने की मांग की गई है।