आरयू ब्यरो, लखनऊ। हिंदूवादी नेता कमलेश तिवारी के चर्चित हत्याकांड के मुख्य गवाह सौराष्ट्र जीत सिंह पर जानलेवा हमले की बात शुक्रवार को सामने आयी है। आज दोपहर विधानसभा के पास मीडिया से मिलने पहुंचे सौराष्ट्र सिंह ने गाजीपुर कोतवाली पुलिस पर आरोप लगाया कि घटना बीती रात गाजीपुर इलाके में हुई है, लेकिन रात में ही तहरीर दिए जाने के बावजूद पुलिस अब तक मुकदमा नहीं दर्ज कर रही है। इस बीच विधानसभा के पास पहुंची हजरतगंज पुलिस ने गाजीपुर पुलिस को घटना की सूचना देने के साथ ही सौराष्ट्र को वहां से हटा दिया। दूसरी ओर पुलिस की कार्यप्रणाली के प्रति हिंदूवादी संगठनों में नाराजगी है।
सौराष्ट्र सिंह के अनुसार बीती रात करीब 12 बजे वह कार से अपने सरकारी गनर के साथ इंदिरानगर स्थित अपने घर जा रहे थे, तभी रहीमनगर के विंध्यवासिनी गेस्ट हाउस के पास पीछे से कार से कुछ लोग उन्हें ओवरटेक कर रोक लिया। जिसके बाद उनको लाठी-डंडे से पीटने लगे। इस बीच एक बदमाश ने पिस्टल निकालकर उन पर फायर करना चाहा, लेकिन असलहे के धोखा देने के चलते उनकी जान बच गयी। तभी उनके सुरक्षाकर्मी ने हमलावर पर पिस्टल तान दिया, जिसके बाद हमलावर पीछे हटे और जान की धमकी देने के साथ ही कार में रखा उनका मोबाइल व पर्स लेकर भाग निकले।
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हमले व पुलिस की कार्यप्रणाली को लेकर हिन्दू महासभा के प्रवक्ता शिशिर चतुर्वेदी, कृष्ण जन्मभूमि के पक्षकार राजेशमणि त्रिपाठी, शिवसेना के उप राज्य प्रमुख गौरव वर्मा, भारतीय जन-जन पार्टी के अध्यक्ष मनीष महाजन, हिन्दूवादी युवा नेता मोहित मिश्रा सहित कई लोगों ने कड़ी निन्दा करते हुये प्रदेश सरकार से मुकदमा दर्ज कर हमलावरों को गिरफ्तार कर कड़ी से कड़ी कार्रवाई की मांग की है। इन नेताओं ने आरोप लगाते हुये कहा कि मुख्य गवाह पर हुये प्राणघातक हमले की वजह कमलेश तिवारी के हत्या में शामिल लोगों को बरी कराने का उद्देश्य था।
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वहीं मुदकमा नहीं दर्ज किए जाने के आरोप पर गाजीपुर इंस्पेक्टर का कहना है कि जानलेवा हमले का आरोप झूठा है, कार ओवरटेक करने को लेकर दोनों पक्षों के बीच विवाद हुआ था। दोनों पक्ष एक-दूसरे को अच्छी तरह जानते हैं, पुलिस मामले की जांच कर रही है।
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बताते चलें कि करीब दो साल पहले लखनऊ में हिंदूवादी नेता कमलेश तिवारी की निर्ममतापूर्वक हत्या कर दी गयी थी। सौराष्ट्र सिंह ने हत्यारों को देखा था, हालांकि हत्यारों ने घटना को उस समय अंजाम दिया जब खुद कमलेश तिवारी ने उसे कुछ सामान लाने के लिए बाहर भेजा था। सौराष्ट्र के लौटने से पहले हत्यारें अपना काम कर फरार हो चुके थे। वहीं इस हत्याकांड के हड़कंप मच गया, विपक्ष से लेकर कमलेश तिवारी के परिजनों ने सीएम योगी तक पर सवाल उठाए थे।