आरयू वेब टीम। टोक्यो 2020 पैरालंपिक गेम्स के भारतीय दल की मेजबानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने आवास पर की। इस दौरान खिलाड़ियों ने पीएम से अपने अनुभव साझा किए। वहीं प्रधानमंत्री ने टोक्यो पैरालंपिक में सिल्वर मेडल जीतने वाले पैरा-शटलर व नोएडा के जिलाधिकारी सुहास एलवाई को देश का नाम रौशन करने के लिए बधाई दी। इस बीच सुहास एलवाई ने भी पीएम से अपने बचपन की एक बड़ी घटना साझा की।
सुहास एलवाई ने प्रधानमंत्री को बताया कि कैसे बचपन में उन्हें स्कूल जाने तक के लिए संघर्ष करना पड़ा। सुहास ने बताया कि, “मेरी शिक्षा गांव से शुरू हुई थी और तीन बार मुझे स्कूल में एडमिशन नहीं दिया गया। जिंदगी के सफर में आज मुझे पैरालंपिक में सिल्वर मेडल जिताकर आपके बगल में बैठने का सौभाग्य दिलाया है। ये सौभाग्य भी मेरे लिए पैरालंपिक मेडल से कम नहीं है।
मैं भगवान को बहुत ज्यादा धन्यवाद देना चाहता हूं। मेरे स्वर्गीत पिता जी कहा करते थे कि स्कूल में सीट नहीं मिली तो कोई बात नहीं। कभी न कभी तुम जिंदगी में कुछ कर के दिखाना। आज मैं जब आपके बगल में बैठा हूं तो मुझे लगता है कि मेरे पिताजी को कही न कहीं खुशी मिल रही होगी। इसलिए मैं आज के दिन को बहुत भाग्यशाली दिन मानता हूं।”
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इससे पहले सुहास एलवाई ने कहा था कि यह गलतफहमी है कि खेल और पढ़ाई साथ में नहीं हो सकती। उन्होंने कहा, ‘‘बचपन से ही मैं दो घंटे खेलता था, खेल हमेशा से पढ़ाई के साथ मेरे जीवन का हिस्सा रहा है। समाज में गलतफहमी ही है कि खेल और पढ़ाई साथ में नहीं हो सकती।’’
कर्नाटक के हसन में जन्में सुहास एलवाई ने कहा, ‘‘मैं माता पिता और समाज को बताना चाहूंगा कि यह तर्क भूल जाइये। आपका बच्चा दोनों में अच्छा कर सकता।’’ उन्होंने कहा, ‘‘2016 में मैंने अपना पहला पेशेवर टूर्नामेंट खेला था जो बीजिंग में एशियाई चैम्पियनशिप थी जिसमें मुझे स्वर्ण पदक मिला था। मुझे लगता है कि वह पेशेवर बैडमिंटन के हिसाब से मेरे लिये टर्निंग प्वाइंट था।