आरयू ब्यूरो, लखनऊ। सूबे की राजधानी लखनऊ की बेहद महत्वपूर्ण परियोजना ग्रीन कॉरिडोर के दायरे में आए हरे पेड़ों को काटे जाने के विरोध के बाद लखनऊ विकास प्राधिकरण को आखिरकार पुराने पेड़ बचाने की समझ आ गयी है। लखनऊ की मंडलायुक्त रोशन जैकब की पहल पर एलडीए ने पेड़ों पर आरा चलवाने की जगह उन्हें शिफ्ट कराने की आज शुरूआत भी करा दी है।
करीब 166 पेड़ों को प्रत्यारोपित करने वाले इस अभियान की शुरूआत एलडीए अध्यक्ष रोशन जैकब ने आज हनुमान सेतु के पास की है। इस दौरान एलडीए वीसी प्रथमेश कुमार के अलावा एलडीए के चीफ इंजीनियर नवनीत शर्मा समेत अन्य अभियंता व अफसर मौजूद रहें। अभियान के पहले दिन करीब 15 साल पुराने 21 पेड़ों को उनकी जड़ों समेत गोमती रिवर फ्रंट पर क्रेन की सहायता से प्रत्यारोपित किया गया।
स्थानीय लोगों व पर्यावरण प्रेमियों ने किया था विरोध
बताते चलें कि ग्रीन कॉरिडोर के नाम पर एलडीए के अफसर व इंजीनियर बीते कुछ महीने से गोमती रिवर फ्रंट के आसपास तेजी से हरे पेड़ों को कटवा रहे थे। जिसका स्थानीय निवासियों से लेकर रहागीरों व पर्यावरण प्रेमियों ने विरोध किया था।
वीडियो वायरल होने के बाद बंद हुई थीं पेड़ों की हत्या
वहीं भीषण गर्मी के बीच विशालकाय पेड़ों के कटवाने का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल होने के साथ ही मामला अखबारों में भी उछला तो बैकफुट पर आए प्राधिकरण ने पेड़ों की हत्या कराना बंद करा दिया था।
ग्रेटर नोएडा के तर्ज पर काम शुरू, पहले चेतते तो…
हरियाली की हत्या के बीच लोगों ने एलडीए अफसरों की योग्यता व मंशा पर सवाल उठाने के साथ ग्रेटर नोएडा के एक अंडरपास निर्माण के लिए सैकड़ों बड़े पेड़ों को प्रत्यारोपित करने के मामले से सीख लेने की नसीहत दी थीं। जिसके बाद प्राधिकरण को सुध आयी और उसने अब अपनी गलती सुधार ली है, हालांकि प्राधिकरण पहले ही चेत जाता तो सैकड़ों पेड़ बचाए जा सकते थे।
प्राधिकरण की योजनाओं में भी प्रत्यारोपित हो पेड़
वहीं आज प्रत्यारोपण के मौके पर कमिश्नर ने प्राधिकरण के अफसरों को निर्देश दिये कि पेड़ों को रिवर फ्रंट के अलावा प्राधिकरण की योजनाओं में भी लगाया जाए। उन्होंने कहा कि नदवा कॉलेज के सामने बने घाट पर सफाई कराकर वहां भी वृक्षारोपण कराया जाए।
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प्रत्यारोपण के बारे में प्रथमेश कुमार ने एक बयान जारी करते हुए मीडिया से कहा है कि एलडीए आइआइएम रोड से किसान पथ के बीच 28 किलोमीटर लंबे ग्रीन कॉरिडोर का निर्माण करा रहा। इस परियोजना के अंतर्गत हनुमान सेतु से निशातगंज व निशातगंज से कुकरैल के बीच बंधा चौड़ीकरण का काम हो रहा।
प्राइवेट कंपनी की रिपोर्ट पर काम शुरू
वीसी ने कहा कि चौड़ीकरण वाले रूट पर कुल 166 पुराने पेड़ हैं, जिन्हें परियोजना के चलते हटाया जाना जरूरी था। इन पेड़ों को काटने के बजाए प्रत्यारोपित करने के संबंध में इंजीनियरिंग व उद्यान अनुभाग की टीम को प्लानिंग के निर्देश दिये गये थे। इसी क्रम में दिल्ली की प्राइवेट कंपनी से संपर्क किया गया। कंपनी के विशेषज्ञों ने पेड़ों व इन्हें प्रत्यारोपित करने वाली जगह का निरीक्षण कर रिपोर्ट दी थीं। जिसके आधार पर अब इन पेड़ों को प्रत्यारोपित करने का काम शुरू किया गया है।
12 से 15 साल पुराने हैं पेड़
एलडीए उपाध्यक्ष के मुताबिक हनुमान सेतु से कुकरैल के बीच करीब चार किलोमीटर लंबे स्ट्रेच में कुल 166 पेड़ों को चिन्हित किया गया है। नीम, जामुन, पिलखन, गूलर, पीपल, बरगद, अर्जुन, एलेस्टोनिया आदि प्रजाति के ये पेड़ करीब 12 से 15 साल पुराने हैं। शुक्रवार को अभियान की शुरूआत में कुल 21 पेड़ों को क्रेन के माध्यम से उनके स्थान से रिवर फंट पर लाया गया, जहां उन्हें जड़ समेत प्रत्यारोपित किया गया।
छह दिन में प्राकृतिक माहौल तैयार
उपाध्यक्ष ने यह भी बताया कि पेड़ों को प्रत्यारोपित करने की छह दिनों से तैयारी की जा रही थी। जिस जगह पेड़ पनपे थे, वैसा ही ‘प्राकृतिक माहौल’ नये स्थान पर तैयार किया गया। इसके लिए सबसे पहले पेड़ की जड़ों के आसपास की मिट्टी को निकाल कर प्रत्यारोपित करने वाले स्थान पर मिलाया गया। जड़ों के इर्द-गिर्द ‘अर्थ बॉल’ बनायी गयी। इन्सेक्टिसाइड, पेस्टिसाइड, फंगीसाइड का निर्धारित मात्रा में इस्तेमाल करते हुए वर्मी कम्पोस्ट डाला गया।
60-80 प्रतिशत तक सर्वावाइवल रेट
वीसी के अनुसार विशेषज्ञों की देखरेख में वृक्षों के प्रत्यारोपण का कार्य किया जा रहा। विशेषज्ञों ने बताया कि बारिश के मौसम के चलते इनमें से अधिकांश पेड़ प्राकृतिक रूप से नये स्थान पर पनप जाएंगे। प्रत्यारोपित पेड़ों का सर्वावाइवल रेट 60 से 80 प्रतिशत तक होगा।



















