आरयू वेब टीम। संसद की कैंटीन में सांसदों को मिलने वाला सस्ता खाना अक्सर ही जनता के बीच बहस का विषय बना रहता है, लेकिन अब ये बहस खत्म होने को है, क्योंकि संसद भवन की कैंटीन में अब सांसदों को सस्ता भोजन नहीं मिलेगा। कैंटीन में खाने के दाम उसकी लागत के हिसाब से तय होंगे, क्योंकि संसद भवन की कैंटीन को दी जाने वाली सब्सिडी खत्म करने का फैसला लिया गया है।
सांसदों ने संसद की कैंटीन में खाद्य वस्तुओं पर मिलने वाली सब्सिडी को छोड़ने का सर्वानुमति से निर्णय किया है। आधिकारिक सूत्रों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। सूत्रों के अनुसार यह निर्णय लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के सुझाव के बाद किया। इनका मानना है कि इतना अधिक सब्सिडी देना उपयुक्त नहीं है। उन्होंने बताया कि सब्सिडी समाप्त होने से सालाना 17 करोड़ रूपये बचाया जा सकेगा। यह निर्णय लागू होने के बाद खाद्य पदार्थो की कीमतें लगभग दोगुनी हो जाएंगी।
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मालूम हो कि संसद भवन के कैंटीन में सब्सिडी लंबे समय से विवादास्पद मुद्दा रहा है और कुछ वर्ष पहले इसमें कटौती की गई थी। लोकसभा अध्यक्ष के साथ बैठक के बाद कार्य मंत्रणा समिति में विभिन्न दलों के नेताओं ने सब्सिडी समाप्त करने के संबंध में निर्णय किया। भाजपा नेता और कार्य मंत्रणा समिति के सदस्य राजीव प्रताप रूडी ने कहा, ‘स्पीकर की पहल पर कार्य मंत्रणा समिति की बैठक में यह निर्णय किया गया। सांसदों का मत है कि यह उपयुक्त नहीं है।’
इसमें 17 करोड़ रूपये की सब्सिडी में से 14 करोड़ रूपये अभी संसद कर्मचारियों एवं वहां आने वाले अन्य लोगों के मद में जाता है, जबकि तीन करोड़ रूपये सांसदों के मद में जाता है। सब्सिडी समाप्त करने के निर्णय के बाद कीमतों के दोगुनी वृद्धि होने की संभावना है। एक प्लेट बिरायानी अभी 56 रूपये में मिलती है जो बढ़कर 112 रूपये हो सकती है। संसद भवन परिसर में कई कैंटीन है जो आइआरसीटीसी द्वारा संचालित है।
वहीं साल 2015 में एक रिपोर्ट में ये बात सामने आई थी कि कैंटीन में खाने की लागत पर 80 फीसदी तक सब्सिडी दी जाती है। उस समय बीजद के सांसद बिजयंत जय पांडा ने स्पीकर को चिट्ठी लिखकर सब्सिडी खत्म किए जाने की मांग की थी। उन्होंने कहा था कि जब सरकार आर्थिक रूप से मजबूत लोगों से एलपीजी सब्सिडी वापस करने के लिए कह रही है तो सांसदों से भी कैंटीन में सब्सिडी की सुविधा वापस ले लेनी चाहिए।