अब यूपी सरकार अभिभावकों के बैंक खातों में भेजेगी पैसे, खुद खरीद सकेंगे बच्‍चों के लिए यूनिफॉर्म, बैग-जूते

स्‍कूल छुट्टी कैंसिल
फाइल फोटो।

आरयू ब्यूरो, लखनऊ। यूपी बेसिक शिक्षा परिषद की ओर से संचालित स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के अभिभावक अब अपने बच्चों के लिए खुद यूनिफॉर्म, स्वेटर, जूते-मोजे और स्कूल बैग खरीद सकेंगे। अभी तक राज्य सरकार की ओर से हर शैक्षिक सत्र में परिषदीय स्कूलों के बच्चों को यह सभी चीजें मुफ्त में दी जाती रही हैं।

बेसिक शिक्षा विभाग चालू शैक्षिक सत्र में अब इन चीजों को बच्चों को सीधे वितरित करने के बजाय इन सामानों पर व्यय की जाने वाली धनराशि डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के जरिये सीधे अभिभावकों के बैंक खातों में भेजेगा।विभाग की ओर से ये प्रस्ताव कैबिनेट की मंजूरी के लिए भेज दिया गया है।

बेसिक शिक्षा विभाग अभी इन चीजों की आपूर्ति जिला स्तर पर जेम पोर्टल पर टेंडर के जरिये करता था। टेंडर की प्रक्रिया में अकसर भ्रष्टाचार की शिकायतें मिलती थीं। एक व्यावहारिक कठिनाई यह भी आती थी कि जितनी बड़ी संख्या में वस्तुओं की खरीद के लिए टेंडर आमंत्रित किए जाते थे, उतनी आपूर्ति कर पाना फर्मों के लिए संभव नहीं हो पाता था। इन कार्यों की निगरानी पर बेसिक शिक्षा विभाग की काफी ऊर्जा खर्च होती थी। वस्तुओं की गुणवत्ता को लेकर भी विभाग आलोचनाओं का शिकार होता था।

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जिसे देखते हुए विभाग ने तय किया है कि अब इन वस्तुओं की खरीदारी के लिए रकम सीधे बच्चों के अभिभावकों के बैंक खातों में भेजी जाएगी। जिसका नए शैक्षिक सत्र के लिए तैयार किए गये इस प्रस्ताव से बेसिक शिक्षा परिषद के स्कूल के 1.58 करोड़ बच्चों को लाभ मिलेगा।

इसके अलावा इस फैसले के बाद कमीशनखोरी जैसी शिकायतों को दूर किया जा सकेगा। जब अभिभावकों के पास सीधे पैसा पहुंचेगा तो वो बच्चों को बाजार से बेहतर सामान दिला पायेंगे। इसके साथ ही विद्यार्थियों के पास सही समय पर सामान उपलब्ध हो सकेगा, जिससे देरी से बच्चों के पास सामान पहुंचने की शिकायतें भी दूर होंगी।

बता दें कि अभी बच्चों को यूनिफॉर्म, स्वेटर, स्कूल बैग और जूते-मोजे उपलब्ध कराने पर सरकार तकरीबन 1750 करोड़ रुपये खर्च करती है। इस हिसाब से प्रत्येक बच्चे पर लगभग 1100 रुपये की धनराशि खर्च होती है। सरकार की ओर से हर शैक्षिक सत्र में परिषदीय स्कूलों के सभी बच्चों को निश:शुल्क पाठ्यपुस्तकें भी मुहैया कराई जाती हैं। पाठ्यपुस्तकों की छपाई के लिए बेसिक शिक्षा विभाग प्रकाशकों से टेंडर आमंत्रित करता है। बच्चों को सरकार की ओर से पाठ्य पुस्तकें बांटे जाने की व्यवस्था यथावत जारी रहेगी।

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