आरयू ब्यूरो, लखनऊ। प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों में पर्याप्त भौतिक संसाधनों को उपलब्ध कराए जाने के बाद अब बच्चों को गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराना विभाग का प्रमुख लक्ष्य है। इसके लिए शासन द्वारा आरटीई के मानक के अनुसार प्रशिक्षित अध्यापकों की तैनाती की गई है। यह जानकारी देते हुए प्रदेश की बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनुपमा जायसवाल ने कहा कि जनता का भरोसा परिषदीय विद्यालयों के प्रति लगातार बढ़ रहा है। साल 2016-17 से स्कूलों में छात्रों के नामांकन की संख्या निरंतर बढ़ रही है।
सरकारी स्कूलों में छात्रों की मौजूदगी को देखते हुए शिक्षा मंत्री ने कहा कि अभियान चलाकर बच्चों का शत-प्रतिशत नामांकन कराया जाए और उनकी उपस्थिति आवश्यक रूप से कम से कम 80 प्रतिशत सुनिश्चित की जाए। उन्होंने निर्देश दिए हैं कि बच्चों को यूनिफॉर्म, स्कूल बैग, पुस्तकें व जूता मोजा अनिवार्य रूप से जुलाई के द्वितीय सप्ताह तक वितरित करा दिए जाएं।
अनुपमा जायसवाल ने आज अधिकारियों को निर्देश देते हुए ये भी कहा कि बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिए जाने के लिए शैक्षिक सत्र 2019-20 को ‘‘शैक्षिक गुणवत्ता वर्ष‘‘ के रूप में मनाया जाएगा। विद्यालय परिसर एवं भवन को आकर्षित एवं सुसज्जित रखा जाए एवं विद्यालय परिसर में पौधारोपण कराया जाए।
साथ ही बेसिक शिक्षा मंत्री ने कहा है कि पाठ्यक्रम का मासिक विभाजन कर उसे समय से पूरा कराया जाए। विद्यालयों में अध्यापन कार्य निर्धारित समय सारणी के अनुसार प्रतिदिन संपन्न कराया जाए। खेलकूद एवं योग का प्रतिदिन आयोजन किया जाए उन्होंने कहा कि सीखने सिखाने की प्रक्रिया में बच्चों को अनिवार्य रूप से संलग्न किया जाए और गतिविधि आधारित शिक्षण को विशेष रूप से लागू किया जाए।
इसके अलावा विद्यालयों में प्रतिदिन सुबह प्रार्थना सभा आयोजित की जाए, जिसके बाद महत्वपूर्ण सामाजिक विषय पर बच्चों से संभाषण कराए जाएं। सप्ताह के अंतिम दिन बाल सभा एवं सांस्कृतिक गतिविधियों का भी आयोजन हो और पठन-पाठन में सहायक शिक्षण सामग्री का पर्याप्त प्रयोग किया जाए।
शिक्षा मंत्री ने निर्देश देते हुए आगे कहा की ग्रेडेड लर्निंग कार्यक्रम को और प्रभावी ढंग से लागू किया जाए, जिससे कि छात्र-छात्राओं में कक्षा तथा विषय वस्तु के लिए निर्धारित दक्षता और कौशल का विकास हो। इन गतिविधियों से न सिर्फ बच्चों की विद्यालयों में नियमित उपस्थिति बढ़ेगी, बल्कि बच्चों का आत्मविश्वास भी बढ़ेगा और उनकी प्रगति से अभिभावकों का भी विद्यालयों से जुड़ाव बढ़ेगा।