आरयू ब्यूरो, लखनऊ। लखनऊ विकास प्राधिकरण के अफसरों के निर्देश को हवा में उड़ाने वाले एक बाबू पर आखिरकार आज गाज गिरी है। बिना छुट्टी लिए कार्यालय से लगातार गायब रहने वाला बाबू अपने अधिकारियों की भी नहीं सुन रहा था। जिसकी जानकारी लगने पर एलडीए वीसी प्रथमेश कुमार ने कड़ा कदम उठाते उसे निलंबित कर दिया है। साथ ही बाबू की जांच भी उपाध्यक्ष ने शुरू करा दी है। वीसी की कार्रवाई से अधिकारियों के आदेश निर्देश दरकिनार कर नौकरी करने वाले अन्य लापरवाह मातहतों में भी हड़कंप मच गया है।
अपर सचिव ज्ञानेन्द्र वर्मा ने बताया कि कनिष्ठ लिपिक आशुतोष मलिक को साल 2022 में पीआइयू सेल में तैनात किया गया था। तब से 31 दिसंबर 2024 के बीच वह कई बार बिना स्वीकृत अवकाश के ड्यूटी से लंबे अंतराल के लिए अनुपस्थित रहा।
सहकर्मियों को भी जानकारी नहीं देता था लिपिक
अपर सचिव के अनुसार बाबू न सिर्फ अपनी मर्जी से गायब हो जाता था, बल्कि सक्षम अधिकारी या अपने सहकर्मियों तक को अवकाश के संबंध में किसी भी प्रकार की कोई सूचना नहीं देता था। ज्ञानेंद्र वर्मा ने बताया कि ऐसा करने पर आशुतोष मलिक को कई बार अधिकारियों ने उसे चेतावनी भी दी थीं, लेकिन उसकी कार्यशैली में कोई सुधार नहीं आया।
यह भी पढ़ें- नोटिस काट अवैध निर्माण का ठेके लेने वाले इंजीनियर-अफसरों पर LDA उपाध्यक्ष नाराज, दी सुधरने की चेतावनी
परेशान अफसर ने की लिखित शिकायत तो हुई कार्रवाई
कुछ साल पहले ही मृतक आश्रित कोटे से नौकरी पाने वाले आशुतोष मलिक की इन आदतों से परेशान होकर आखिरकार पीआइयू सेल के अफसर ने आशुतोष की लचर कार्यशैली व अनुशासनहीनता के संबंध में एलडीए वीसी से लिखित शिकायत की थी। जिस पर उपाध्यक्ष ने कठोर कार्रवाई करते हुए कनिष्ठ लिपिक आशुतोष मलिक को तत्काल प्रभाव से आज निलंबित कर दिया।
साथ ही प्रथमेश कुमार ने इस मामले में आरोप पत्र दाखिल करने के लिए विशेष कार्याधिकारी वंदना पांडेय को जांच अधिकारी नामित किया गया है। ओएसडी की जांच रिपोर्ट के आधार पर बाबू पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।
अपने ही अधिकारियों का आदेश नहीं मानते मनबढ़ कर्मी
बताते चलें यह कोई पहला मामला नहीं है, जब प्राधिकरण का कर्मी अपने ही अधिकारियों से बेकाबू हो नौकरी करते मिले हो। इससे पहले भी कई बाबू व अन्य कर्मी पटल परिवर्तन का आदेश दरकिनार कर पुरानी जगह पर ही काम करते रहें हैं। कई बार तो इन कर्मियों के जुगाड़ के सामने अधिकारियों को अपना ही आदेश पलटना पड़ता है।
अर्निंग हैंड बनाने वाले अफसर भी कम जिम्मेदार नहीं
वहीं सूत्र बताते हैं कि आज भी कई बाबू व प्रवर्तन में तैनात रहे अन्य कर्मी हटाए जाने के भी अपनी पुराने जगह पहले की ही तरह नौकरी कर रहें। हालांकि कर्मियों के मनमौजी ढ़ग से नौकरी करने के पीछे उन अफसरों का भी बड़ा हाथ है जो इन्हें अर्निंग हैंड की तरह इस्तेमाल करते हैं।