आरयू ब्यूरो,लखनऊ/गोरखपुर। भारत को साल 2040 तक अगर हमें विश्व गुरू बनाना है, तो हम सभी को इसके लिए स्वस्थ रहना होगा। स्वस्थ रहने के लिये हमें सबसे बड़ी मदद आयुष और योग पद्धति से मिलेगा। आयुष की दवाएं जो कभी एक्सपायर नहीं होती, वह हमें स्वस्थ शरीर प्रदान करेंगी। योग के माध्यम से हम अपने स्वस्थ शरीर पर और भी नियंत्रण स्थापित कर पाएंगे। ये बातें मंगलवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पिपरी भटहट में महायोगी गोरखनाथ के नाम से स्थापित उत्तर प्रदेश के पहले आयुष विश्वविद्यालय का लोकार्पण कर कही।
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इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि डॉक्टर कहते हैं कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए आपको छह से आठ घंटे की नींद लेना जरूरी होता है, लेकिन जो योगी होता है, वह योग से जो अपने शरीर पर नियंत्रण प्राप्त कर लेता है, वह निद्राजीत हो जाता है। वह तीन घंटे की नींद में भी अपने आप को पूरी तरह से चैतन्य अवस्था में पता है, इसलिए योग और आयुष की इस विधा को हमें न सिर्फ अपनाना है बल्कि, भारत को विश्वगुरू बनाने में हमारी इस ऋषि परंपरा को आगे ले जाने की जरूरत है।
विश्व को बड़ा संदेश देने का करें काम
साथ ही राष्ट्रपति ने कहा कि सरकार इसके लिए बेहतर प्रयास कर रही है। वह संसाधन को उपलब्ध करा सकती है, लेकिन चिकित्सकों और इसके उपयोगकर्ताओं पर निर्भर करता है कि वह इसकी महत्ता को समझे और खुद को निरोगी काया देते हुए, विश्व को बड़ा संदेश देने का काम करें। राष्ट्रपति ने कहा कि दुनिया की जो चिकित्सा पद्धति थी एलोपैथी, यूनानी, होम्योपैथी आज भारत उसको अपना चुका है, जबकि दुनिया के तमाम देश आयुष और योग की तरफ आगे बढ़ रहे हैं, इसलिए हमें अपनी परंपरा को जीवंतता प्रदान करनी है, तभी भारत विश्व गुरु बन पाएगा।
जंगलों में औषधीय वनस्पतियों का खजाना
राष्ट्रपति ने ये भी कहा कि आयुर्वेद हमारी धरती से जुड़ा हुआ है। हमारे खेतों में, हमारे जंगलों में औषधीय वनस्पतियों का खजाना आज भी मौजूद है, जिसकी कोई एक्सपायरी डेट नहीं है। 2014 में केंद्र सरकार ने और साल 2017 से उत्तर प्रदेश सरकार ने आयुष विभागों की स्थापना करके देश की इसे के नई ऊर्जा के साथ प्रोत्साहित किया है। हमारे आयुर्वेदाचार्य ने मानव कल्याण के लिए इस चिकित्सा का प्रयोग किए थे। उसका प्रभाव हमें समझना होगा। हठ योगी बाबा गोरखनाथ योग की परम्परा को गोरखपुर से पूरी दुनिया में फैलाया। उसी परंपरा के योगी आदित्यनाथ के हाथों जो आयुष विश्वविद्यालय के स्थापना की परिकल्पना आज धरातल पर उतरी है। योगी भी कठिन परिश्रमी और निद्राजीत हैं, जो उनके कार्य व्यवहार में दिखता है।
योगी जीते थे तीन-चार सौ साल
इतना ही नहीं आयुष विश्वविद्यालय का लोकार्पण उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरे देश में मेडिकल एजुकेशन और चिकित्सा सेवा के विकास में मील का पत्थर साबित होगा। इससे सौ आयुष कॉलेज लाभान्वित होंगे। यहां आयुष पद्धतियों में स्नातक से लेकर उच्चतम स्तर की उपाधि, शिक्षक एवं शोध कार्य किये जाएंगे। राष्ट्रपति ने कहा कि भारत योगी, ऋषियों की भूमि है। कहा जाता है योगियों-ऋषियों के हम उत्तर पीढ़ी हैं। योगी तीन चार सौ साल जीते थे। आज हम लोग पास संसाधन है, बहुत सारी सुविधाएं हैं, लेकिन सही मायने में हम अपने हर सुविधा को शरीर के लिए उपयोग करें। हम लोग का स्वास्थ्य ठीक रहेगा। प्रदेश का यह पहला आयुष विश्वविद्यालय यहां के युवा और किसानों को रोजगार का भी अवसर प्रदान करेगा।




















