आरयू ब्यूरो, लखनऊ/प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति समीर जैन ने 2016 के यतीमखाना बेदखली प्रकरण में सपा नेता मोहम्मद आजम खान की याचिका पर सुनवाई से स्वयं को अलग कर लिया। उन्होंने केस को अपने न्यायालय से रिलीज कर दिया है। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ट्रायल कोर्ट के अंतिम निर्णय पर लगी रोक अगली सुनवाई तक प्रभावी रहेगी।
इस संबंध में अधिवक्ता शाश्वत आनंद ने बताया कि कोर्ट ने यह आदेश सह अभियुक्तों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एसएफए नकवी, अधिवक्ता सैयद अहमद फैजान, आजम खान व उनके सहयोगी वीरेन्द्र गोयल की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एनआई जाफरी, उनकी व अधिवक्ता शशांक तिवारी की उपस्थिति में दिया। याचिका में ट्रायल कोर्ट के गत 30 मई के आदेश को चुनौती दी गई है।
इस आदेश में अभियोजन साक्षियों विशेषकर सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के चेयरमैन जफर अहमद फारूकी को दोबारा बुलाने और घटनास्थल की वीडियोग्राफी को रिकॉर्ड में लाने की मांग खारिज कर दी गई थी। याचियों का कहना है कि यह वीडियोग्राफी उनकी घटनास्थल पर अनुपस्थिति साबित कर सकती है और निष्पक्ष सुनवाई के अधिकार के लिए यह साक्ष्य आवश्यक है।
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यह मुकदमा 2019 में रामपुर के कोतवाली थाने में दर्ज 12 एफआइआर पर आधारित है, जिनमें डकैती, आपराधिक षड्यंत्र और घर में अनधिकृत प्रवेश जैसे आरोप शामिल हैं। सभी मामलों को आठ अगस्त 2024 को विशेष न्यायाधीश (एमपी/एमएलए) रामपुर ने एकल मुकदमे में जोड़ा था।




















