रोडवेज के बर्खास्त संविदा कर्मियों ने बहाली की मांग को लेकर घेरा मुख्यालय

बर्खास्त संविदा कर्मी
प्रदर्शन करते बर्खासत संविदा कर्मी।

आरयू ब्यूरो, लखनऊ। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम मुख्यालय के विभिन्न क्षेत्रों से बेटिकट के पांच से ज्यादा मामले और अन्य आरोपों में नौकरी से निकाले गए संविदा कर्मियों ने सोमवार को रोडवेज मुख्यालय घेरकर प्रदर्शन किया।

प्रदर्शनकारियों का कहना था कि गलत आरोप लगाकर सैकड़ों संविदा कर्मियों की नौकरी छीन ली गई। उनके सामने रोजी-रोटी का संकट पैदा हो गया है। आर्बिट्रेशन में भी वही अधिकारी बैठे हैं, जिन्होंने नौकरी छीनी थी तो बहाली कैसे हो जाती।

इस दौरान प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों ने मांग की कि ठेके पर जो वर्तमान में भर्ती की जा रही, उस पर पूरी तरह से रोक लगाई जाए। सभी निकाले गए संविदा कर्मियों को तत्काल बहाल किया जाए, जिससे डिपो में चालक परिचालकों के अभाव में खड़ी बसें रोड पर संचालित हो सकें।

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प्रदर्शन के दौरान उत्तर प्रदेश रोडवेज संविदा कर्मचारी संघ के अध्यक्ष होमेन्द्र मिश्रा ने कहा कि संविदा कर्मियों की नौकरी अधिकारी बड़ी आसानी से ले लेते हैं। सैकड़ों की संख्या में अब तक संविदा कर्मियों को नौकरी से निकाला जा चुका है। उनके लिए लगातार संघर्ष जारी है। आठ सूत्री मांगों को लेकर मुख्यालय पर प्रदर्शन करने बड़ी संख्या में बर्खास्त संविदा कर्मी इकट्ठा हुए हैं।

छोटे आरोपों को आधार बना कर दिया सेवा से बाहर

बर्खास्त संविदा कर्मी लंबे समय तक निगम में कार्यरत थे। इनमें से ज्यादातर कर्मचारियों की आय और लोड फैक्टर सामान्य से काफी अच्छा रहा था। निगम को काफी लाभ भी होता था फिर भी सुनवाई न करके उनके साथ न्याय नहीं किया गया। छोटे-छोटे आरोपों को आधार बनाकर इन्हें सेवा से बाहर कर दिया गया। आगे कहा कि 2007 में प्रबंध निदेशक ने संविदा कर्मियों की समस्याओं के समाधान की एक पूरी व्यवस्था तय की थी, लेकिन इस व्यवस्था का अनुपालन नहीं किया गया।

आर्बिट्रेशन ने उनकी संविदा रिजेक्ट की

वहीं उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रधान प्रबंधक व प्रवक्ता अजीत सिंह का कहना है कि प्रदर्शन करने वालों में ज्यादातर वे लोग शामिल हैं, जिनकी संविदा पांच से ज्यादा बेटिकट के चलते समाप्त की गई थी। ऐसे लगभग 80 प्रतिशत लोग हैं। सभी को आर्बिट्रेशन में अपनी बात रखने का मौका भी दिया गया था। आर्बिट्रेशन ने उनकी संविदा रिजेक्ट की थी। अब उसके बाद तो एक ही रास्ता बचता है कि वह न्यायालय की शरण में जाएं। संगठन के प्रतिनिधियों से सूची मांगी है कि कितने संविदा चालक परिचालक नौकरी से बर्खास्त किए गए थे।

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