मनीष सिसोदिया का आरोप, भाजपा ने CBI-ED के नाम से कारोबारियों को डराया

शराब नीति

आरयू वेब टीम। दिल्ली सरकार की नई शराब नीति में अनियमितता को लेकर उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने सीबीआइ जांच की सिफारिश कर दी है। इसके बाद से केजरीवाल सरकार की ओर से भाजपा पर जबरदस्त तरीके से निशाना साधा जा रहा है। इन सब के बीच दिल्ली सरकार ने फैसला लिया है कि अभी राष्ट्रीय राजधानी में पुरानी शराब नीति ही लागू रहेगी।

आज दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया मीडिया के सामने आए। उन्होंने भाजपा पर कई संगीन आरोप भी लगाए। मनीष सिसोदिया ने कहा हमने नई आबकारी नीति वापस ले ली है और शराब की सरकारी दुकानें खोलने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि हम भ्रष्टाचार को रोकने के लिए नई शराब नीति लाए। हमने शराब दुकानों की पारदर्शी तरीके से नीलामी की। पहले दिल्ली में 850 दुकानें थी, लेकिन भाजपा ने सीबीआइ और ईडी के नाम से कारोबारियों को डराया है।

डिप्टी सीएम ने आगे कहा कि नई पॉलिसी में हमने तय किया कि एक भी ज्यादा दुकान नहीं खोलेंगे। पहले इन दुकानों से सरकार को 6000 करोड़ की आय होती थी। पारदर्शी तरीके से नीलामी के बाद अब 9500 करोड़ की आय सरकार को हुई। उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली में 2021-22 की एक्साइज पॉलिसी लागू होने से पहले ज्यादा सरकारी दुकानें थी। सरकारी दुकानों के जरिए शराब बिकती थी और बहुत घोटाला होता था।

वहीं दिल्ली में कुछ निजी दुकानें थी, लेकिन इसका लाइसेंस भी इन लोगों ने अपनों को ही दिया था। उनसे चार्ज भी कम लेते थे। उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाया कि भाजपा ने शराब की दुकानों के लाइसेंसधारियों एवं आबकारी विभाग के अधिकारियों को धमकाने के लिए सीबीआई एवं ईडी का इस्तेमाल किया ताकि नई आबकारी नीति विफल हो जाए।

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उपमुख्यमंत्री ने साफ कहा कि हमने नई शराब नीति को रोकने का फैसला किया है और सरकारी शराब की दुकानें खोलने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा कि मुख्य सचिव को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया गया है कि इस बदलाव ​​के दौरान कोई अराजकता न हो।

उन्होंने गुजरात में शराब के लोगों की हुई मौत का भी मद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि गुजरात में नकली शराब से मौत का ये पहला मामला नहीं है। ये लोग कहते हैं कि हमने गुजरात में शराब बंद कर रखी है, लेकिन हर दो-तीन साल में ऐसे मामले आते हैं। जब पड़ताल होती है तो पता चलता है कि इन्हीं के लोग वहां शराब बेचने और बनाने में शामिल थे।

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