आरयू ब्यूरो, लखनऊ। यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने बुधवार को चल रहे भारत बंद को अपना समर्थन दिया और
इसे ‘आरक्षण के खिलाफ साजिश’ बताया। अनुसूचित जातियों (एससी) के उप-वर्गीकरण पर सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के विरोध में कुछ दलित और आदिवासी समूहों द्वारा एक दिवसीय भारत बंद का आह्वान किया गया था।
मायावती ने अपने पोस्ट में कहा, बीएसपी का भारत बंद को समर्थन, क्योंकि भाजपा व कांग्रेस आदि पार्टियों के आरक्षण विरोधी षडयंत्र व इसे निष्प्रभावी बनाकर अन्ततः खत्म करने की मिलीभगत के कारण एक अगस्त 2024 को एससी/एसटी के उपवर्गीकरण व इनमें क्रीमीलेयर सम्बंधी सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के विरुद्ध इनमें रोष है।
मायावती ने आगे कहा कि इसको लेकर इन वर्गों के लोगों द्वारा आज ’भारत बंद’ के तहत सरकार को ज्ञापन देकर संविधान संशोधन के जरिए आरक्षण में हुए बदलाव को खत्म करने आदि की मांग जबरदस्त, जिसे बिना किसी हिंसा के अनुशासित व शान्तिपूर्ण तरीके से किये जाने की अपील है।
अंत में बसपा मुखिया ने कहा कि “एससी-एसटी के साथ-साथ ओबीसी समुदाय को दिया गया आरक्षण का संवैधानिक अधिकार इन वर्गों के सच्चे मसीहा बाबा साहब डॉ. भीमराव अंबेडकर के निरंतर संघर्ष का परिणाम है। भाजपा, कांग्रेस और अन्य दलों को इसकी आवश्यकता और संवेदनशीलता को समझना चाहिए और इसके साथ खिलवाड़ नहीं करना चाहिए।”
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दरअसल देशभर के इक्कीस संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ भारत बंद का आह्वान किया है, जिसके बारे में उनका कहना है कि इससे आरक्षण के मूल सिद्धांतों को नुकसान पहुंचेगा।
यह भी बताते चलें कि एक अगस्त को एक ऐतिहासिक फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यों को सामाजिक रूप से विषम वर्ग बनाने वाली एससी के भीतर उप-वर्गीकरण करने का संवैधानिक अधिकार है, ताकि उन जातियों के उत्थान के लिए आरक्षण दिया जा सके जो सामाजिक और शैक्षणिक रूप से अधिक पिछड़ी हैं, हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह स्पष्ट किया कि राज्यों को पिछड़ेपन और सरकारी नौकरियों में प्रतिनिधित्व के “मात्रात्मक और प्रदर्शन योग्य आंकड़ों” के आधार पर उप-वर्गीकरण करना होगा, न कि ‘सनक’ और “राजनीतिक लाभ” के आधार पर।