आरयू वेब टीम।
जालौन में आज एक अनोखा मामला सामने आया है। यहां चार दिनों से जेल में बंद आठ गधों को छोड़ा गया है। गधों पर आरोप था कि ये हुड़दंग मचाते थे। जिसके बाद पुलिस को मजबूरी में यह कार्रवाई करनी पड़ी। वहीं गधों की रिहाई कराने के लिए भाजपा के स्थानीय नेता को भी पैरवी करनी पड़ी।
बताया जा रहा है कि हमेशा घूमने वाले इन गधों ने जेल के बाहर की बगिया व जेल स्टाफ कॉलोनी की बगिया को अपनी धम्मा-चौंकड़ी से नष्ट कर दिया था। तीन दिन से लापता गधों की खोजबीन कर रहे मालिक महेश, जितेंद्र, हरीनारायण और हिम्मत को रविवार रात पता चला कि उनके गधे जेल में बंद है।
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अपने गधों को मुसीबत में देख मालिकों ने सत्ताधारी दल के एक नेता का सहारा लेने का मन बनाया और इलाके के ही भाजपा नेता से मिलकर अपना दर्द बयान किया। जनता और उनके गधों का दर्द समझते हुए नेताजी भी रात में ही जेल पहुंच गए। जहां स्टाफ ने सोमवार सुबह लिखा-पढ़ी कर गधों को रिहा करने की बात कहकर भाजपा नेता व मालिकों को चलता कर दिया।
सोमवार सुबह फिर भाजपा नेता गधा मालिकों के साथ जेल पहुंचे। करीब तीन घंटे के इंतजार के बाद भाजपा नेता की पैरवी पर गधों को जेल से निकालकर उनके मालिकों के हवाले किया गया।
नेताजी ने नहीं लिया क्रेडिट, कहा दोस्त से मिलने आए थे
बिना काम कराएं ही अच्छे काम का क्रेडिट लेते तो आपने कई नेताओं को देखा होगा, लेकिन यहां मामला आज उल्टा देखने को मिला। जहां जेल के अंदर लोगों ने नेताजी की समाज सेवा पर चुटकी ली। वहीं जेल के बाहर मीडियाकर्मियों के जमावड़े की बात पता लगते ही नेताजी काफी इंतजार कराने के बाद बाहर निकले। हालांकि इसके बाद भी उन्होंने यह कहते हुए गधों को छुड़ाने का क्रेडिट लेने से मना कर दिया कि वह अपने एक दोस्त से मिलने जेल पहुंचे थे।
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इस बारे में जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा ने बताया कि उन्होंने पहले गधा मालिकों को बुलाकर समझाया था, लेकिन वह नहीं माने। गधों ने उसके बाद भी नुकसान किया तो मजबूरी में उन्हें बंद करना पड़ा। गधों की हुड़दंगई के चलते कॉलोनी के बच्चें भी चोटिल हो चुके थे।