आरयू वेब टीम। दिल्ली हिंसा और हेट स्पीच का मामला सोमवार को सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। इसे लेकर सोमवार को जनहित याचिका दाखिल की गई है। इन याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट बुधवार को सुनवाई करेगा, हालांकि याचिका पर चीफ जस्टिस एसए बोबड़े ने बड़ी टिप्पणी की है।
सीजेआइ एसए बोबड़े ने कहा कि हम यह नहीं कह रहे हैं कि लोगों को मरना चाहिए, लेकिन इस तरह का दबाव कोर्ट नहीं संभाल सकता। यह उम्मीदें होती है कि यह अदालत दंगा रोक सकती है। हम केवल एक बार कुछ हो जाने के बाद ही कुछ कर सकते हैं। हम पर एक तरह का दबाव महसूस होता है।
सीजेआइ एसए बोबड़े ने कहा कि ऐसा लगता है जैसे कि अदालत जिम्मेदार है। हम अखबारों को भी पढ़ते हैं, हम इस मामले को सुनेंगे, लेकिन यह समझना होगा कि अदालत घटना के बाद आती है। कोर्ट इसे रोक नहीं सकता। हम शांति की अपील करते हैं, लेकिन हम जानते हैं कि हमारी शक्तियों की सीमाएं हैं।
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वहीं याचिकाकर्ता हर्ष मंदर ने भाजपा नेता कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की मांग की। हर्ष मंदर ने ही इन तीनों नेताओं के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी, जिस पर हाई कोर्ट ने 13 अप्रैल को सुनवाई की अगली तारीख दी है।
अपनी याचिका में हर्ष मंदर ने दिल्ली हाई कोर्ट के उस आदेश को भी चुनौती दी है, जिसके जरिए इस मामले की सुनवाई लंबे समय तक टाल दी गई। याचिका में भाजपा नेताओं कपिल मिश्रा, अनुराग ठाकुर और प्रवेश वर्मा के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर कानूनी कार्रवाई करने की मांग की गई है। इन नेताओं पर हेट स्पीच देने का आरोप है, जिसके बाद दिल्ली के नॉर्थ-ईस्ट इलाके में हिंसा भड़क गई।
इसके अलावा भाजपा नेता अनुराग ठाकुर और परवेश वर्मा के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने की मांग वाली याचिका पर दिल्ली की कोर्ट 23 अप्रैल को सुनवाई करेगी। माकपा नेता वृंदा करात ने दोनों भाजपा नेताओं के खिलाफ दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान हेट स्पीच देने के मामले की शिकायत की है।