आरयू वेब टीम। नागरिकता संशोधन कानून को लेकर दाखिल 140 से अधिक याचिकाओं को सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने संविधान पीठ के पास भेजने का फैसला किया है। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने चार हफ्ते में सभी याचिकाओं पर जवाब देने के लिए केंद्र सरकार को कहा है, जबकि कोर्ट ने सीएए पर अंतरिम रोक पर कोई आदेश जारी नहीं किया। शीर्ष अदालत ने सभी हाई कोर्ट को सीएए से जुड़े मामले की सुनवाई नहीं करने को कहा है।
चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता में तीन जजों की पीठ मामले की सुनवाई कर रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि याचिकाओं को सुनने के लिए पांच-न्यायाधीशों की संविधान पीठ गठित की जाएगी। चीफ जस्टिस ने कहा है कि पांच जजों की बेंच इस मामले पर सुनवाई करेगी कि इसपर स्टे लगाना है या नहीं। अब इस मसले को चार हफ्ते बाद सुना जाएगा, जबकि सिब्बल की निलंबन वाली दलील पर चीफ जस्टिस बोबडे ने कहा कि यह एक तरीके से रोक की ही बात होगी। अदालत ने कहा कि वह मामले पर केंद्र की सुनवाई किए बिना सीएए पर कोई स्टे नहीं देगी।
वहीं सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन एक्ट पर दायर याचिकाओं को अलग-अलग कैटेगरी में बांट दिया है। इसके तहत असम, नॉर्थ ईस्ट के मसले पर अलग सुनवाई की जाएगी। जबकि, उत्तर प्रदेश में जो सीएए की प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया है उसको लेकर भी अलग से सुनवाई की जाएगी। सीजेआई बोबड़े ने कहा कि सीएए को चुनौती देने वाली याचिकाओं को दो वर्गों में विभाजित करना होगा, एक त्रिपुरा और असम के बारे में और दूसरी सामान्य याचिकाएं।
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अदालत ने सभी याचिकाओं की लिस्ट जोन के हिसाब से मांगी है, जो भी बाकी याचिकाएं हैं उनपर केंद्र को नोटिस जारी किया जाएगा। सीजेआइ ने कहा कि असम और त्रिपुरा मामलों को अलग-अलग करने के लिए एक साथ क्लब किया जाएगा। कोर्ट ने सिब्बल से इन मामलों की पहचान करने में सहायता करने को कहा। सीजेआइ ने असम के तर्क को अलग रखते हुए कहा कि वहां की स्थिति अलग है। उन्होंने कहा कि हर याचिका सरकार के पास जानी आवश्यक है।
सुनवाई के दौरान कानून को चुनौती देने वाले पक्ष की दलील रखते हुए कपिल सिब्बल ने कहा कि जबतक इस मामले की सुनवाई पूरी नहीं हो जाती तबतक इस को निलंबित कर दिया जाना चाहिए। सिब्बल ने संविधान पीठ के गठन की मांग की। सिब्बल ने कहा कि नागरिकता देकर वापस नहीं ली जा सकती है। उन्होंने दलील दी कि इसपर कोई अंतरिम आदेश जारी होना चाहिए। सिब्बल ने कहा कि हम कानून पर रोक की मांग नहीं कर रहे हैं, बल्कि इसे दो महीने के लिए निलंबित कर दें।
वहीं केंद्र की ओर से पेश अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने पीठ को बताया कि सरकार को 143 याचिकाओं में से लगभग 60 दलीलों की प्रतियां दी गई हैं। उन्होंने कहा कि यह उन दलीलों का जवाब देने का समय चाहता है जो इस पर नहीं दी गई हैं। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि इन याचिकाओं पर जवाब देने के लिए सरकार दो-दो हफ्तों का वक्त चाहिए।
गौरतलब है कि सीएए विरोधी याचिकाओं में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल), कांग्रेस नेता जयराम रमेश, राष्ट्रीय जनता दल के नेता मनोज झा, तृणमूल कांग्रेस के सांसद महुआ मोइत्रा और एआइएमआइएम नेता असदुद्दीन ओवैसी द्वारा दायर की गई याचिकाएं भी शामिल हैं।