आरयू ब्यूरो, लखनऊ। अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस केस में बुधवार को सीबीआइ की विशेष अदालत में पेश हुए सभी आरोपित बरी हो गए। कोर्ट के फैसले पर ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली और शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जवाद नकवी ने सवाल उठाएं हैं। धर्मगुरुओं का कहना है कि जब सभी आरोपित बरी हो गए तो किसने गिराई मस्जिद।
कल्बे जवाद ने कहा कि अगर गुंजाइश हो तो इस सिलसिले में कोर्ट के फैसले पर ओपन अपील करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद फैसले में ये माना था कि मस्जिद को गिराना बड़ा जुर्म और कानून के खिलाफ था, तो फिर आज हमें बताया जाए कि बाबरी मस्जिद गिराने वाले मुजरिम कहां हैं? मस्जिद को गिराने का सारा खेल पुलिस के सामने हुआ था। मौलाना ने कहा कि पुलिस ने उन मुजरिमों के खिलाफ अपनी रिपोर्ट सही तरह से पेश क्यों नहीं की? इसमें पुलिस के रोल की भी जांच हो।
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साथ ही उस वक्त की सरकार ने क्यों मस्जिद गिराने वालों की कोर्ट में पुख्ता और सही रिपोर्ट पेश नहीं की ये भी अहम सवाल है। अब जब कि बाबरी मस्जिद ढांचा विध्वंस केस में सारे आरोपी बरी हो गए हैं तो हमें बताया जाए कि मस्जिद किसने गिराई थी। या मस्जिद को किसी ने गिराया ही नहीं था?
वहीं, ऐशबाग ईदगाह के इमाम मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली ने कहा कि हम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं। आज हुए फैसले पर हमें कुछ नहीं कहना है। मगर सभी लोग जानते हैं कि छह दिसंबर 1992 में बाबरी मस्जिद गिराई गई और कानून की धज्जियां उड़ाई गईं। अब मुस्लिम ऑर्गेनाइजेशन बैठ कर तय करेंगी कि आगे अपील करना है या नहीं करना है।