CM योगी का अफसरों को निर्देश, असुरक्षित पुलों को करें तत्काल बंद, कांवड़ यात्रा वाले रास्‍ते हो 15 जुलाई तक गड्ढा मुक्‍त

असुरक्षित पुल
अफसर मंत्रियों के साथ बैठक करते योगी आदित्‍यनाथ।

आरयू ब्यूरो, लखनऊ। बिहार में एक के बाद एक कई पुल गिरने के बाद यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरुवार को लोक निर्माण विभाग के कामकाज की समीक्षा की। इस दौरान सीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि 50 वर्ष पुराने प्रदेश के सभी पुलों का बारीकी से निरीक्षण कराया जाए। असुरक्षित समझ में आने पर तत्काल बंद किया जाए। साथ ही जिन सड़कों से कांवरियों को गुजरना हो उन्‍हें सौ प्रतिशत गड्ढा मुक्‍त कराया जाए।

सीएम योगी ने निर्देश दिया कि पुलों के सुपर स्ट्रक्चर, पियर की स्थिति, सेतुओं के वाटर-वे में ब्लाकेज, पियर के साइड में स्कावर होल, सेतु के एबटमेन्ट ढाल व बोल्डर का परीक्षण किया जाएगा। असुरक्षित पुल को तत्काल यातायात के लिए बंद किया जाएगा।

इसके अलावा कांवड़ यात्रा को लेकर मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि इनसे जुड़े मार्गों को 15 जुलाई तक शतप्रतिशत गड्ढामुक्त कर दिया जाए। जलभराव वाली सड़कों पर जल निकासी की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी।

साथ ही कहा कि सात साल में प्रदेश की रोड कनेक्टिविटी में अभूतपूर्व विस्तार हुआ है। सात साल में स्टेट हाइवे 7002 किमी से बढ़कर 10214 किमी हो गया है। जबकि ग्रामीण मार्गों की लंबाई 1,87,517 किमी से बढ़कर 1,93,581 किमी हो गई है। प्रदेश में प्रतिदिन औसतन नौ किलोमीटर मार्गों का चौड़ीकरण हो रहा है। हर दिन गांवों में लगभग 11 किमी नई सड़क बन रही है। इस रफ्तार को और तेज करने के निर्देश दिए।

मुख्यमंत्री ने प्रदेश के अंतरराज्यीय तथा अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पड़ने वाले मार्गों पर भव्य द्वार तेजी से पूरा करने के निर्देश दिए। सड़कों के पुराने मैटेरियल को रीसाइकिल कर दोबारा प्रयोग की तकनीक की सराहना करते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि देश में सबसे पहले यूपी पीडब्ल्यूडी ने इस तकनीक का प्रयोग किया है।

उन्नाव में इस तकनीक से पुराने मार्ग को रीसाइकिल कर सीमेंटेड बेस और कानपुर देहात में एडिटिव का प्रयोग कर निर्माण कार्य कराया गया था। कुल बनने वाली सड़कों में आधी सड़कें इसी तकनीक से बनाने के निर्देश दिए।

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मालूम हो कि बिहार में पिछले दो सप्ताह में नौ पुलों के ढहने की रिपोर्ट के बाद बिहार में सभी पुलों के संरचनात्मक ऑडिट की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई है। याचिका में बिहार सरकार को सभी मौजूदा पुलों और निर्माणाधीन पुलों का उच्चतम स्तरीय संरचनात्मक ऑडिट करने और कमजोर ढांचे को ध्वस्त करने का निर्देश देने की मांग की गई है।

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