आरयू वेब टीम। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा विपक्ष पर ‘हार की हताशा’ और ‘ड्रामा’ करने का आरोप लगाए जाने के बाद, विपक्षी नेताओं ने तीखे शब्दों में पीएम पलटवार किया है। विपक्ष ने न सिर्फ पीएम मोदी की बयानबाजी की गरिमा पर सवाल उठाए, बल्कि उन्हें ही ‘सबसे बड़ा ड्रामा मास्टर’ घोषित कर दिया। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने पीएम मोदी को ‘सबसे बड़ा ड्रामेबाज’ बताते हुए आरोप लगाया कि सरकार लोगों के वास्तविक मुद्दों को अनदेखा कर रही है और संसद में सार्थक चर्चा करने की बजाय ड्रामा कर रही है। कांग्रेस ने बेरोजगारी, महंगाई और अन्य मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करने की मांग की है।
खड़गे ने आगे कहा, ‘आम आदमी बेरोजगारी, महंगाई, आर्थिक असमानता और देश के संसाधनों की लूट से जूझ रहा है। जो लोग सत्ता में हैं, वे ड्रामेबाजी का खेल खेल रहे हैं और सत्ता के अहंकार से भरे हैं।’ खरगे ने कहा, ‘एसआइआर प्रक्रिया में काम के बोझ के कारण बीएलओ लगातार जान दे रहे हैं। विपक्ष, वोट चोरी सहित अन्य मुद्दों को प्राथमिकता देना चाहता है और संसद में हम इसे लगातार उठाएंगे।’
वहीं केरल के वायनाड से सांसद प्रियंका गांधी ने पीएम मोदी के ‘ड्रामा’ वाले बयान को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि जनता के गंभीर मसले, चुनाव की स्थिति, एसआइआर और प्रदूषण का मुद्दा उठाना किसी भी मायने में ड्रामा नहीं है। प्रियंका ने कटाक्ष करते हुए कहा कि असली ड्रामा तो वह है जब इन महत्वपूर्ण मुद्दों पर संसद में चर्चा ही नहीं करने दी जाती।
वहीं विपक्षी नेताओं ने घोषणा की है कि वे किसी भी तरह की ‘हताशा’ में नहीं हैं और संसद में एसआइआर का मसला पुरजोर तरीके से उठाएंगे। रेणुका चौधरी के साथ ही, सपा सांसद रामगोपाल यादव और अवधेश कुमार ने भी ऐलान किया है कि जब तक एसआइआर के मुद्दे पर चर्चा नहीं हो जाती, वे किसी और मसले पर बात नहीं करेंगे, जिससे संसद में गतिरोध के संकेत मिल रहे हैं।
दरअसल सत्र की शुरुआत में मीडिया से बात करते हुए पीएम मोदी ने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि ‘मेरा आग्रह रहेगा कि संसद में चर्चा को गंभीरता से लें, ड्रामा करने के लिए बहुत जगह होती है, जिसे करना है करता रहे, यहां ड्रामा नहीं डिलीवरी होनी चाहिए। नारे के लिए पूरा देश पड़ा है, जहां हारे वहां बोल चुके और जहां हारने जा रहे हैं, वहां भी बोल लेना। यहां नारे नहीं नीति पर बात होनी चाहिए। हो सकता है कि राजनीति में नकारात्मकता कुछ काम आती होगी, लेकिन राष्ट्र निर्माण की सोच भी होनी चाहिए। नकारात्मकता को मर्यादा में रखकर राष्ट्र निर्माण पर ध्यान दें।’




















