आरयू ब्यूरो, लखनऊ। राजधानी लखनऊ में रोडवेज के जीएम की कोरोना से हुई मौत के बाद बसों में पचास फीसद यात्री ले जाने पर वेतन में हुई कटौती से नाराज संविदा चालकों ने गुरुवार को बसें खड़ी कर हंगामा शुरू कर दिया और उन्हें चलाने इंकार कर दिया। जिससे करीब चार घंटे से अधिक बसों का संचालन बंद रहा। रोडवेज कर्मियों का आरोप है कि इस महामारी के समय जान जोखिम में डालकर किए जा रहे संचालन के दौरान कोविड प्रोटोकाल का उल्लंघन कराया जा रहा है। इससे बीते सप्ताह डेढ़ दर्जन कर्मी संक्रमित हो चुके हैं।
अधिकारियों से वार्ता के बाद हालात सामान्य हुए और बसों का संचालन शुरू कराया गया। परिवहन निगम रोडवेज इंप्लाइज यूनियन के क्षेत्रीय अध्यक्ष रूपेश कुमार ने बताया कि जान जोखिम में डालकर काम करने पर आधा वेतन दिए जाने पर कर्मचारी भड़के। वार्ता के बाद उन्हें समझा दिया गया। बसों का संचालन शुरू करा दिया गया। बोर्ड बैठक में प्रस्ताव ले जाने पर बात बनी है।
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बसों का सैनिटाइजेशन सुनिश्चित कराया जाए। कर्मचारी संघर्ष यूनियन के उपाध्यक्ष सुरेश वर्मा ने कहा कि बसों का सेनेटाइोशन कराया जाए। सुरक्षा किट तक इस बार नहीं मिल रहे हैं। सवारी कम होने पर वेतन से कटौती गलत है। जब मानक पचास फीसद बस संचालन का है तो कटौती क्यों?
रोडवेज कर्मियों के हंगामें के चलते आलमबाग, चारबाग और कैसरबाग बस स्टेशन पर बसों का संचालन नहीं हो सका और यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ा। सिर्फ दैनिक यात्री ही नहीं दिल्ली मुंबई से ट्रेनों से आने वाले यात्री भी बसों के इंतजार में बस अड्डों पर भटकते रहे।