आरयू वेब टीम। देशभर में कोरोना वायरस के संकट से आर्थिक मोर्चे पर पैदा हुई चुनौतियों का सामना करने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने शुक्रवार को बड़ी घोषणाएं की हैं। आरबीआइ के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज प्रेसवार्ता में घोषणा की कि रेपो रेट में 0.75 फीसदी की कटौती की गई है और ये 5.15 फीसदी से घटाकर 4.40 फीसदी कर दी गई है।
आरबीआइ गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था पर कोरोना महामारी का असर पड़ सकता है और देश के कई सेक्टर इसका निगेटिव प्रभाव झेलेंगे। वैश्विक अर्थव्यवस्था में भी मंदी आ सकती है और इसके चलते आर्थिक स्थिरता प्रभावित हो सकती है। आरबीआइ ने कहा है कि उसका फोकस आर्थिक स्थिरता पर है और विश्व के कई देश कोरोना वायरस की महामारी से लड़ रहे हैं। भारत में लॉकडाउन के चलते आर्थिक गतिविधियां ठप हैं, लेकिन आरबीआइ का ध्यान लोगों को राहत दिलाने पर है। लिहाजा आरबीआइ ने ये बड़े फैसले लिए है।
इस दौरान आरबीआइ ने रिवर्स रेपो रेट में भी 0.90 फीसदी की कटौती की है और अब ये 4.90 फीसदी से घटकर चार फीसदी हो जाएगी। साथ ही आरबीआइ ने सभी बैंकों का कैश रिजर्व रेश्यो भी पूरे एक फीसदी यानी 100 बेसिस पॉइंट घटाकर तीन फीसदी कर दिया है। अब ये पूरे एक साल के लिए चार फीसदी के बजाए तीन फीसदी होगा। कैश रिजर्व रेश्यो के तहत बैंक अपनी जमा का कुछ प्रतिशत आरबीआइ के पास रखते हैं। इसमें कटौती होने से बैंकों के पास 1.37 लाख करोड़ रुपये की रकम बैंकों को मिल पाएगी।
वहीं आरबीआइ ने सभी बैंकों को सलाह दी है कि वो ग्राहकों से तीन महीने के लिए ईएमआइ को लेने के लिए टाल दें और माना जा सकता है कि आरबीआइ की इस एडवाइजरी के चलते बैंक अपने ग्राहकों को ईएमआइ के मोर्चे पर राहत दे सकते हैं, हालांकि ये साफ है कि इसको लेकर आरबीआइ ने गेंद बैंकों के पाले में डाल दी है।
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दरअसल रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति यानी एमपीसी की तीन दिनों की तीन दिवसीय बैठक तीन अप्रैल को पूरी होने वाली थी और क्रेडिट पॉलिसी का एलान इस दिन होने वाला था और इसी में आरबीआई से रेपो रेट में कटौती की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन शक्तिकांत दास ने बताया कि एमपीसी की बैठक 24 मार्च, 26 मार्च और 27 मार्च को हो गई है और इसमें नीतिगत दरों की कटौती का फैसला लिया गया है।
मालूम हो कि बजट के बाद अपनी पहली क्रेडिट पॉलिसी में आरबीआइ ने नीतिगत दरों में कोई बदलाव नहीं किया था और रेपो रेट 5.15 फीसदी पर ही बरकरार रखा था। इसके साथ ही रिवर्स रेपो रेट भी 4.90 फीसदी पर रहा था। ये मौद्रिक नीति यानी क्रेडिट पॉलिसी छह फरवरी 2020 को आई थी।
बता दें कि रेपो रेट वो है, जिस पर आरबीआइ बैंकों को कर्ज देता है लिहाजा रेपो रेट कम होने से बैंकों की लोन की लागत कम होगी और इससे लोन लेने वालों की ईएमआई सस्ती होने की पूरी उम्मीद है।