जाने-माने शायर राहत इंदौरी का निधन, आज ही कोरोना पॉजिटिव होने की सूचना देने के साथ समर्थकों से कि थी खास अपील

राहत इंदौरी

आरयू वेब टीम। देश के जाने-माने शायर राहत इंदौरी का मंगलवार शाम इंदौर के अरविंदो अस्पताल में निधन हो गया। कोरोना संक्रमित होने के बाद अस्‍पताल में भर्ती हुए राहत इंदौरी ने आज ही अपनी कोविड-19 रिपोर्ट आने की सूचना ट्विटर के माध्‍यम से अपने समर्थकों को दी थी।

साथ ही अपील करते हुए अपने स्‍वास्‍थ्‍य के लिए समर्थकों से दुआ करने को कहा था। इसके अलावा इल्‍तेजा की थी कि उन्‍हें या उनके घरवालों को फोन नहीं किया जाए, उनकी तबियत के बारे में फेसबुक और ट्विटर पर जानकारी मिलती रहेगी।

वहीं इंदौर स्थित अरविंदो अस्‍पताल के डॉ. विनोद भंडारी ने 70 वर्षीय राहत इंदौरी के निधन के बात की पुष्टि करते हुए मीडिया से कहा कि राहत इंदौरी को आज दो हार्ट अटैक आए और बचाया नहीं जा सका। रविवार शाम को उन्हें कोविड पॉजिटिव पाए जाने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके साथ ही कोरोना संक्रमित मिलने पर आज सुबह राहत इंदौरी ने अपने ट्विटर अकाऊंट से ट्विट कर कहा कि “ कोविड के शरुआती लक्षण दिखाई देने पर कल मेरा कोरोना टेस्ट किया गया, जिसकी रिपोर्ट पॉजिटिव आयी है। अरविदों हॉस्पिटल में एडमिट हूं दुआ कीजिये जल्द से जल्द इस बीमारी को हरा दूं। साथ ही उन्‍होंने आगे लिखा था कि एक और इल्तेजा है, मुझे या घर के लोगों को फोन ना करें, मेरी खैरियत ट्विटर और फेसबुक पर आपको मिलती रहेगी।”

बताते चलें कि 70 साल के राहत इंदौरी करीब 50 साल से शायरी कर रहे थे। राहत इंदौरी का जन्म इंदौर में एक जनवरी 1950 को कपड़ा मिल के कर्मचारी रफ्तुल्लाह कुरैशी और मकबूल उन निशा बेगम के यहां हुआ था। वह उनकी चौथी संतान थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा नूतन स्कूल इंदौर में हुई। उन्होंने इस्लामिया करीमिया कॉलेज इंदौर से 1973 में अपनी स्नातक की पढ़ाई पूरी की और 1875 में बरकतउल्लाह विश्‍वविद्यालय, भोपाल से उर्दू साहित्य में एमए किया। 1985 में भोपाल स्थित प्रदेश के मध्य प्रदेश भोज मुक्‍त विश्‍वविद्यालय से उर्दू साहित्य में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की। अलग अंदाज से शायरी करने वाले इंदौरी ने बेबाक तरीके से देश के मसलों पर शायरी की थी। वह राजनीतिक दलों को अपनी शायरी के द्वारा कटघरे में खड़ा करते थे।

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राहत इंदौरी एक पेंटर भी थे, लेकिन शायरी करने की वजह से पेंटिग बहुत ही कम करते थे। उन्होंने इंदौर शहर में एक साइन-चित्रकार के रूप में दस साल से भी कम उम्र में काम करना शुरू कर दिया था। चित्रकारी उनकी रुचि के क्षेत्रों में से एक थी और बहुत जल्द ही बहुत नाम अर्जित किया था। वह कुछ ही समय में इंदौर के व्यस्ततम साइनबोर्ड चित्रकार बन गए, क्योंकि उनकी प्रतिभा, असाधारण डिजाइन कौशल, शानदार रंग भावना और कल्पना की थी और इसलिए वह प्रसिद्ध भी हुए। यह भी एक दौर था कि ग्राहकों को राहत द्वारा चित्रित बोर्डों को पाने के लिए महीनों का इंतजार करना भी स्वीकार था। यहां की दुकानों के लिए किया गया पेंट कई साइनबोर्ड्स पर इंदौर में आज भी देखा जा सकता है।