आरयू वेब टीम। दिल्ली दंगा मामले में आम आदमी पार्टी के पूर्व पार्षद ताहिर हुसैन को आज हाई कोर्ट से राहत मिल गई है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने बुधवार को ताहिर हुसैन को 2020 के दिल्ली दंगों के संबंध में हिंसा के पांच अलग-अलग मामलों में सशर्त जमानत दे दी। दिल्ली दंगों के सिलसिले में सभी पांच एफआइआर एक ही साल में दयाल पुर पुलिस स्टेशन में दर्ज की गईं थीं।
दिल्ली हाई कोर्ट के जस्टिस अनीष दयाल ने ताहिर हुसैन को जमानत देने के मामले में सुनवाई के बाद इस साल 20 अप्रैल को अपना आदेश सुरक्षित कर लिया था। ताहिर हुसैन के खिलाफ सभी पांच केस दयालपुर थाने में दर्ज किए गए थे। ताहिर पर हत्या की कोशिश, दंगा भड़काने, आगजनी और आपराधिक साजिश के केस पुलिस ने दर्ज किए थे।
पांच मामलों के अलावा ताहिर हुसैन पर अभी और भी केस दर्ज हैं। इस वजह से ताहिर हुसैन का जेल से छूटना अभी नामुमकिन है। अगर बाकी मामलों में भी ताहिर हुसैन को जमानत मिल गई, तो उसे जेल से रिहा किया जाएगा। ताहिर को जिन पांच मामलों में शर्तों के तहत जमानत मिली है, उनमें अपने घर की छत से दंगाइयों के जरिए पथराव कराना, पेट्रोल बम फेंकना और गोली चलाने के हैं। इन घटनाओं में दो लोग घायल हुए थे। ताहिर हुसैन पर आर्म्स एक्ट के भी मामले हैं। सार्वजनिक संपत्ति नष्ट करने का भी ताहिर हुसैन पर आरोप है।
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दिल्ली पुलिस ने दो जून 2020 को दिल्ली दंगों के मामले में दो चार्जशीट दाखिल की है। एक में ताहिर हुसैन को दंगों का मुख्य साजिश रचने वाला बताया है। पुलिस का दावा है कि ताहिर हुसैन ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में दंगे कराने की गहरी साजिश रची। दिल्ली पुलिस के अनुसार पार्षद रहे ताहिर हुसैन ने दंगों में अहम भूमिका निभाई। उसके भाई शाह आलम को भी पुलिस ने इसी मामले में गिरफ्तार किया था। जांच के दौरान ताहिर की पिस्टल भी जब्त की गई थी। ताहिर पर अपनी लाइसेंसी पिस्टल से फायरिंग करने का भी आरोप है।
इस साल मार्च में दिल्ली के कड़कड़डूमा कोर्ट ने इंटेलिजेंस ब्यूरो के अधिकारी अंकित शर्मा की हत्या के मामले में ताहिर हुसैन और दस अन्य पर आरोप भी तय किए थे। बता दें कि दिल्ली में 24 फरवरी 2020 को दंगे भड़के थे। इन दंगों में कम से कम 53 लोगों की मौत हुई थी और सैकड़ों लोग घायल हुए थे।