आरयू वेब टीम। दिल्ली उच्च न्यायालय ने प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दर्ज आईएनएक्स मीडिया धनशोधन मामले में पूर्व वित्त मंत्री पी.चिदंबरम को जमानत देने से शुक्रवार को इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि उनके खिलाफ लगे आरोप पहली नजर में गंभीर प्रकृति के हैं और अपराध में उनकी सक्रिय एवं प्रमुख भूमिका रही है। न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने कहा कि अगर मामले में चिदंबरम को जमानत दी जाती है तो इससे समाज में गलत संदेश जाएगा।
दरअसल इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने चिदंबरम को एक लाख रुपए के निजी मुचलके पर सीबीआइ मामले में जमानत दे दी थी। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान सीबीआइ की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि चिदंबरम को इस मामले में तब तक जमानत नहीं दी जानी चाहिए जब तक इस मामले का ट्रायल शुरू नहीं हो जाता और अहम गवाहों के बयान नहीं दर्ज कर लिए जाते।
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वहीं, चिदंबरम की ओर से वकील कपिल सिब्बल ने अदालत को भरोसा दिलाने की कोशिश की थी कि चिदंबरम देश छोड़कर नहीं भागेंगे। हाई कोर्ट ने भी माना था कि चिदंबरम किसी पद पर नहीं हैं, इसलिए वो सबूतों के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकते है और देश छोड़कर नहीं भाग सकते हैं।
मालूम हो कि सीबीआइ ने 15 मई, 2017 को मामला दर्ज किया था, जिसमें आइएनएक्स मीडिया समूह को 2007 में 305 करोड़ रुपये का विदेशी चंदा प्राप्त करने के लिए विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआइपीबी) की मंजूरी देने में अनियमितताओं का आरोप लगाया गया था। इस दौरान चिदंबरम वित्त मंत्री थे। इसके बाद ईडी ने भी इसी संबंध में 2017 में धनशोधन का एक मामला दर्ज किया था।